फसल खरीदी में देरी से नाराज किसानों ने किया प्रदर्शन, मंडियों में कई दिनों से पड़ा है 3 लाख बोरी धान

किसान संगठन  ने चेतावनी दी है कि अगर अगले सात दिनों में सभी पात्र किसानों को टोकन जारी नहीं किए गए और धान उठाव की प्रक्रिया तेज नहीं हुई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. संगठन ने कहा कि सरकार ने 2025-26 विपणन सत्र में 93 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है.

Kisan India
नोएडा | Published: 15 Dec, 2025 | 02:12 PM

Paddy Purchase: ओडिशा के बरगढ़ जिले में धान खरीद को लेकर किसानों का विरोध लगातार तेज बना हुआ है. किसान संगठनों ने इसे प्रशासनिक विफलता बताते हुए राज्य सरकार को घेरा है. पदमपुर में राजबोड़ासांबर कृषक संगठन के किसानों ने उप-जिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया और तुरंत धान खरीद शुरू करने की मांग की. जब कलेक्टर आदित्य गोयल मौके पर पहुंचे तो किसानों ने उनके सामने धान की बोरियां रखकर हस्तक्षेप की गुहार लगाई.

किसानों का कहना है कि पिछले खरीफ सीजन में पदमपुर मंडी से करीब 30 लाख क्विंटल धान खरीदा गया  था, लेकिन इस साल हालात खराब हैं. जिले में 92 खरीद केंद्र खोले गए हैं, लेकिन अब तक 42 केंद्रों पर खरीद शुरू नहीं हो पाई है. किसानों के अनुसार अलग-अलग मंडियों में करीब तीन लाख बोरी धान बिना बिके पड़ी हैं, जबकि अब तक सिर्फ 40 हजार बोरी की ही खरीद हुई है. आरोप है कि करीब 60 फीसदी किसानों को अब तक टोकन नहीं मिले हैं और जहां मिले भी हैं, वे उनकी जमीन और उपज से कम हैं. वहीं जय किसान आंदोलन के नेताओं ने भी कहा कि मंडियां खुले 16 दिन बीत जाने के बाद भी बरगढ़ में धान खरीद बेहद धीमी है और जिले के 60 फीसदी से ज्यादा किसान अब भी टोकन का इंतजार कर रहे हैं.

धान उठाव की प्रक्रिया तेज नहीं हुई

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान संगठन  ने चेतावनी दी है कि अगर अगले सात दिनों में सभी पात्र किसानों को टोकन जारी नहीं किए गए और धान उठाव की प्रक्रिया तेज नहीं हुई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. जय किसान आंदोलन के महासचिव हरा बानिया ने कहा कि अनिश्चितता ने किसानों को संकट में डाल दिया है और समय पर धान की खरीद नहीं होने से अगला फसल चक्र भी प्रभावित होगा.

93 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का है लक्ष्य

संगठन ने कहा कि सरकार ने 2025-26 विपणन सत्र में 93 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य  रखा है, लेकिन आरोप है कि मंडियां अलग-अलग बहानों से देर से खोली गईं और उसके बाद भी खरीद प्रक्रिया जानबूझकर धीमी रखी गई, जबकि टोकन वितरण अब तक अधूरा है. किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि हाल ही में खत्म हुए विधानसभा सत्र में किसानों के मुद्दों पर चर्चा नहीं हुई, जबकि विधायकों ने अपने वेतन और भत्ते बढ़ाने पर ध्यान दिया. संगठन ने बरगढ़ विधायक अश्विनी सारंगी के उस बयान पर भी नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने मौजूदा खरीद संकट के बीच किसानों को फसल विविधीकरण की सलाह दी थी और इसे असंवेदनशील बताया.

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