कश्मीर की वादियों में फैले हरे-भरे सेब के बागान इस वक्त एक बड़े खतरे से जूझ रहे हैं. जहां आमतौर पर इन दिनों इन बागों में फलों की रंगत और खुशबू बिखरी होती है, वहीं इस बार तस्वीर कुछ अलग है. हजारों बागवान इन दिनों चिंता में डूबे हैं, क्योंकि सेब की फसल पर फफूंदी (Fungal Infection) का गंभीर हमला हुआ है. बीमारी का फैलाव इतना तेज है कि कई जिलों में पत्तियां झड़ रही हैं, पेड़ों की ताकत घट रही है और फल भी समय से पहले खराब हो रहे हैं.
मौसम का मिजाज
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी की बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है. पिछले कुछ हफ्तों में तापमान का अचानक बढ़ना, बीच-बीच में बारिश और मौसम का उतार-चढ़ाव इन सबने फफूंदी को पनपने का मौका दे दिया. शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय के पैथोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. वसीम के मुताबिक, खासकर पारंपरिक बागों में घनी पत्तियों के चलते नमी बनी रही, जिससे अल्टरनेरिया और नेक्रोटिक लीफ ब्लॉच नाम की फफूंदी तेजी से फैल गई.
फसल ही नहीं, उम्मीदें भी सूख रहीं
शोपियां के किसानों का कहना है कि, “पत्तियों पर काले-भूरे रंग के गोल धब्बे बनने लगे हैं, जो धीरे-धीरे पूरी शाखाओं को प्रभावित कर रहे हैं. इससे न केवल पेड़ कमजोर हो रहे हैं, बल्कि फल भी समय से पहले गिर रहे हैं या छोटे रह जाते हैं.”
फिलहाल शोपियां, पुलवामा और आसपास के कई इलाकों में करीब 30-35 फीसदी बागों में बीमारी फैल चुकी है. यह वही क्षेत्र हैं जहां सेब उत्पादन सबसे अधिक होता है. कश्मीर हर साल करीब 20 लाख टन सेब पैदा करता है और इस पर लगभग 35 लाख लोगों की रोजी-रोटी निर्भर करती है. वहीं किसानों का मानना है कि अगर यह बीमारी काबू में नहीं आई, तो उत्पादन में भारी गिरावट आएगी. इससे किसानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा, और व्यापार पर भी गहरा संकट आ जाएगा.
बागवानी विभाग ने जारी की एडवाइजरी
कश्मीर घाटी में सेब के बागानों में फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. लगातार हो रही बारिश और बागों में नमी के जमाव से सेब की फसल पर गंभीर असर पड़ सकता है. इस स्थिति को देखते हुए बागवानी विभाग ने किसानों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है, जिससे फसल को नुकसान से बचाया जा सके.
बागों में नमी से सतर्क रहें
बागवानी विभाग ने स्पष्ट कहा है कि जिन बागों में जल निकासी की व्यवस्था कमजोर है, वहां पर नमी के कारण फफूंद पनपने की आशंका अधिक है. इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे तुरंत बागों की जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त करें, ताकि पानी रुक न पाए और जड़ों में सड़न न हो.
पेड़ों की छांव में न होने दें घास
पेड़ों के नीचे की जमीन, विशेष रूप से छांव वाली जगहों पर नमी अधिक देर तक बनी रहती है. यह फंगल संक्रमण के लिए आदर्श स्थिति बनाती है. बागवानी विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे पेड़ों के नीचे की घास को तुरंत साफ करें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
फफूंदनाशकों का छिड़काव करें
जहां संक्रमण की शुरुआत हो चुकी है या खतरे की आशंका है, वहां किसानों को सलाह दी गई है कि वे मैन्कोजेब 75 WP या प्रोपिनेब 70 WP जैसे फफूंदनाशकों का छिड़काव करें.
मात्रा: 300 ग्राम दवा को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. इस छिड़काव से फंगल बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है और फसल को बचाया जा सकता है.
बागों की निगरानी जरूरी
बागवानी विभाग ने किसानों को सुझाव दिया है कि वे अपने बागों की नियमित निगरानी करें, विशेषकर पत्तियों के नीचे और फलों की सतह पर कोई धब्बा या फफूंद नजर आए तो तुरंत कार्रवाई करें.