Rabi cultivation: धान कटाई के साथ ही रबी सीजन की शुरुआत हो गई है. कहीं पर कोई गेहूं की बुवाई कर रहा है, तो किहीं पर कोई चना और सरसों बोने के लिए खेत तैयार कर रहा है. खास बात यह है कि बुवाई के दौरान किसान जमकर डीएपी, यूरिया, पोटाश और NPK जैसी रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बचना चाहिए. इसकी जगह पर किसानों को जैविक उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए. इससे मिट्टी के हेल्थ में सुधार आएगा और अच्छी पैदावार भी होगी. साथ ही खेती में लागत भी कम होगी. इससे किसान बंपर कमाई कर पाएंगे.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में लंबे समय तक डीएपी, यूरिया, पोटाश और NPK जैसी रासायनिक खादों का लगातार उपयोग करने से मिट्टी के सूक्ष्म जीव नष्ट हो चुके हैं. ये सूक्ष्म जीव ही मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं और पौधों को पोषण देने में मदद करते हैं. जब ये जीव खत्म हो जाते हैं, तो खाद मिट्टी में ही फिक्स हो जाती है यानी उसका पूरा पोषण पौधों तक नहीं पहुंच पाता. इसी कारण किसान चाहे जितनी भी खाद डालें, फसल को उसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता.
15 से 20 दिनों में करें जीवामृत का इस्तेमाल
ऐसे में विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि किसानों को अब केवल रासायनिक खादों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. इसके बजाय हर 15 से 20 दिन में देसी खाद या जीवामृत का उपयोग करना चाहिए. यह देसी खाद मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है और फसल की पैदावार भी बढ़ती है. सबसे खास बात यह है कि इससे खाद पर खर्च लगभग आधा हो जाता है.
घर पर ही आसानी से बनाएं जीवामृत
जीवामृत एक देसी जैविक खाद है जिसे किसान घर पर ही बहुत आसानी से बना सकते हैं. इसे तैयार करने के लिए किसी मशीन या महंगे सामान की जरूरत नहीं होती. बस कुछ देसी चीजें चाहिए जो गांव में आसानी से मिल जाती हैं. इसके लिए सबसे पहले 200 लीटर की टंकी लें और उसमें करीब 180 लीटर पानी भरें. अब इसमें 10 किलो देसी गाय का गोबर और 10 लीटर गोमूत्र डालें. फिर 2 किलो गुड़ और 2 किलो बेसन या किसी भी दलहनी फसल का आटा मिलाएं. आखिर में बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की आधा किलो मिट्टी डालें. यह मिट्टी प्राकृतिक सूक्ष्म जीवों से भरपूर होती है. इस मिश्रण को अच्छे से हिला लें और छांव में 2 से 3 दिन तक दिन में 2 बार (सुबह-शाम) चलाते रहें. इसके बाद यह जीवामृत खेत में छिड़काव के लिए तैयार हो जाता है.
बढ़ जाएगी फसल की गुणवत्ता
जीवामृत एक जैविक घोल है जो खेत की मिट्टी को उर्वर बनाता है और फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है. इसे घर पर बनाना बहुत आसान है. गाय का गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन (या आटा) और थोड़ी मिट्टी लेकर एक बड़े ड्रम में मिलाएं. लकड़ी की छड़ी से अच्छे से घोलें और फिर इस मिश्रण को ढककर छांव वाली जगह पर 5 से 7 दिन तक रख दें. हर दिन एक बार इसे हिलाना जरूरी है. तय समय के बाद ये घोल तैयार हो जाता है. इसे प्रति एकड़ खेत में लगभग 200 लीटर की मात्रा में छिड़का जा सकता है. हर 15 से 20 दिन में इसका इस्तेमाल दोहराएं.
पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं
इससे खेतों में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, जो मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपयोगी बनाते हैं. जब मिट्टी में जैविक गतिविधि बढ़ती है, तो फसलों को ज्यादा पोषण मिलता है और धीरे-धीरे रासायनिक खादों की जरूरत कम हो जाती है. डॉ. सिंह के अनुसार, नियमित रूप से जीवामृत का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, फसल की पैदावार बेहतर होती है, नमी ज्यादा देर तक बनी रहती है और पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं. इससे किसानों को रासायनिक खादों पर खर्च कम करना पड़ता है और आर्थिक रूप से भी फायदा होता है.