10 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती का बीड़ा उठाया, 1100 मॉडल फॉर्म बनाए

प्राकृतिक खेती मिशन के तहत 1100 मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं. इसके साथ ही प्राकृतिक खेती से संबंधित 806 ट्रेनिंग संस्थान भी शुरू किए चा चुके हैं.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Published: 14 Aug, 2025 | 01:03 PM

मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बेहतर करने और सेहत को बेहतर कृषि उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Mission on Natural Farming NMNF) की शुरूआत भी की है. इसके तहत किसानों को सब्सिडी के साथ ही वित्तीय मदद भी दी जा रही है. प्राकृतिक खेती के लिए अब तक 10 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन करा लिए हैं और वे नेचुरल फार्मिंग कर रहे हैं.

10 लाख से अधिक किसान कर रहे प्राकृतिक खेती

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन में जुलाई 2025 तक 10 लाख से अधिक किसानों का नामांकन किया गया है. मिशन के तहत 1100 मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं. इसके साथ ही प्राकृतिक खेती से संबंधित 806 ट्रेनिंग संस्थान भी शुरू किए जा चुके हैं. इस मिशन का आगाज नवंबर 2024 में केंद्र सरकार ने किया था. तब से एक्शन मोड में इस पर काम किया जा रहा है.

7.50 लाख हेक्टेयर जमीन केमिकल फ्री करने का टारगेट

प्राकृतिक खेती मिशन के तहत 15,000 क्लस्टर बनाकर 7.50 लाख हेक्टेयर भूमि को केमिकल मुक्त करना है. इसके साथ ही देश के 1 करोड़ से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ना है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों में सर्वाधि किसान प्राकृतिक तरीके से खेती को अपनाकर मिट्टी की सेहत सुधार रहे हैं और लोगों को स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले कृषि उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं.

किसानों को ये सुविधाएं दी जा रहीं

प्राकृतिक खेती मिशन को किसानों तक आसानी से पहुंचाने के लिए उन्हें 4000 रुपये से अधिक प्रति एकड़ मदद दी जा रही है. जबकि, कृषि इनपुट पर सब्सिडी दी जा रही है. जबकि, कृषि उपकरणों को उपलब्ध कराने में ऐसे किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है. इसके साथ ही 10,000 बायो इनपुट संसाधन केंद्रों की योजना बनाई गई है और किसानों के लिए 70 हजार से अधिक प्रशिक्षित कृषि सखियों को तैनात किया गया है.

960 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन खराब

देश में 960 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन बंजर हो गई है या खराब हो गई है. इसमें बड़ी भूमिका केमिकल युक्त कृषि इनपुट का है. ऐसी जमीन को उपजाऊ बनाने के साथ ही मौजूदा खेती वाली जमीन को केमिकल फ्री करने के लिए जोर शोर से काम किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती के तरीके अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए दो साल के लिए प्रति एकड़ हर साल 4,000 रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है. दरअसल, प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती है. इसमें एकीकृत प्राकृतिक खेती के तरीके और कई प्रकार की फसल प्रणालियां शामिल हैं.

क्यों जरूरी है प्राकृतिक खेती का तरीका

एक्सपर्ट कहते हैं कि प्राकृतिक खेती लाभकारी कीटों, पक्षियों और सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी को बढ़ावा देकर जैव विविधता को भी बढ़ाती है. इसके अलावा मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ प्राकृतिक खेती कृषि में लचीलापन बढ़ाती है, जिसका सीधा फायदा किसानों को होता है. जबकि, पर्यावरण को फायदा पहुंचता है और क्लाइमेट चेंज की स्थितियों से निपटने में भी यह मददगार साबित होगी.

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