अगर आपका नारियल का पेड़ सूख रहा है, तो जानें इसके कारण और अपनाएं असरदार उपाय

अगर आपके पेड़ की पत्तियां पीली या भूरी हो रही हैं, नई पत्तियां छोटी और कमजोर लग रही हैं, या टहनियों पर काले धब्बे और रिसाव दिखाई दे रहे हैं, तो यह किसी रोग या पोषक तत्वों की कमी का संकेत है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 15 Oct, 2025 | 03:59 PM

Coconut Tree Care: नारियल का पेड़ सिर्फ हरे-भरे बाग और छाया देने वाला नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में कई तरीकों से मदद करता है. इसकी पत्तियां, फल, पानी और तेल हर घर में काम आते हैं. इसे “कल्पवृक्ष” भी कहा जाता है क्योंकि इसका हर हिस्सा उपयोगी है. लेकिन कभी-कभी यह मजबूत दिखने वाला पेड़ अचानक कमजोर पड़ने लगता है. अगर आपके पेड़ की पत्तियां पीली या भूरी हो रही हैं, नई पत्तियां छोटी और कमजोर लग रही हैं, या टहनियों पर काले धब्बे और रिसाव दिखाई दे रहे हैं, तो यह किसी रोग या पोषक तत्वों की कमी का संकेत है.

नारियल के पेड़ सूखने के कारण

फंगल संक्रमण: नारियल के पेड़ में फाइटोफ्थोरा पामिवोरा, फ्यूसैरियम या थिएलाविओप्सिस पैराडॉक्सा जैसे फंगस लग सकते हैं. ये फंगस पेड़ के पानी और पोषण को प्रभावित करते हैं, जिससे पत्तियां जल्दी सूखने लगती हैं.

मौसम और मिट्टी की स्थिति: अत्यधिक सूखा, जलभराव या मिट्टी में नमक की अधिकता पेड़ को कमजोर कर देती है. साथ ही अगर खेत में जल निकासी सहीहो तो रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

पोषक तत्वों की कमी: पोटेशियम, मैग्नीशियम और बोरॉन की कमी से पेड़ कमजोर हो जाता है और रोगों के प्रति संवेदनशील हो जाता है.

कीट संक्रमण: गैंडे के भृंग और लाल ताड़ के घुन जैसी कीटें पत्तियों और टहनियों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे पेड़ जल्दी कमजोर पड़ता है.

नारियल के पेड़ सूखने के लक्षण

  • पुरानी पत्तियों का पीला या भूरा पड़ना.
  • नई पत्तियां छोटी और कमजोर लगना.
  • पेड़ के मुकुट का झुकना या गिरावट.
  • पत्तियों पर काले धब्बे या रिसाव.
  • अगर संक्रमण ज्यादा गंभीर हो जाए, तो पूरा पेड़ सूख सकता है.
  • नारियल के पेड़ को बचाने के उपाय

कृषि प्रबंधन

पेड़ों को पर्याप्त दूरी पर लगाएं ताकि हवा का संचार बना रहे. जैविक खाद और उर्वरकों का सही इस्तेमाल करें. खेत में जलभराव रोकने के लिए ड्रेनेज सिस्टम बनाएं. रोगग्रस्त पत्तियां और टहनियां तुरंत हटा दें ताकि संक्रमणफैले.

रासायनिक उपचार

फंगल संक्रमण से बचाव के लिए कॉपर-आधारित कवकनाशी या फोसेटाइल-एल्यूमीनियम का छिड़काव करें. बोरॉन और मैग्नीशियम युक्त उर्वरकों से पेड़ को मजबूत बनाएं.

जैविक उपचार

ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक कवकनाशी का उपयोग करें. मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीव डालने से पेड़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह स्वस्थ रहता है.

कीट नियंत्रण

गैंडे के भृंग और लाल ताड़ के घुन पर निगरानी रखें. जरूरत पड़ने पर जैविक या रासायनिक उपायों से कीट नियंत्रण करें. पेड़ के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें.

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