5 मार्च के प्रदर्शन से पहले किसान नेताओं पर शिकंजा, कई हिरासत में लेने का दावा

सोमवार को पंजाब सरकार और एसकेएम नेताओं के बीच किसानों की मांगों को लेकर बातचीत बेनतीजा रही. किसान नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बैठक के दौरान गुस्से में उठकर चले गए.

Kisan India
Noida | Published: 4 Mar, 2025 | 12:47 PM

पंजाब में किसानों और सरकार के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है. ऐसे में 5 मार्च को चंडीगढ़ में होने वाले प्रस्तावित किसान प्रदर्शन से पहले, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने पंजाब पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका दावा है कि पुलिस ने कई किसान नेताओं के घरों पर मंगलवार तड़के छापेमारी की और उन्हें हिरासत में लिया. इस कार्रवाई से किसानों में रोष है, वहीं सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. आइए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से.

पुलिस की कार्रवाई

एसकेएम नेताओं ने बताया कि यह पुलिस कार्रवाई उस बैठक के एक दिन बाद हुई है जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान और किसान नेताओं के बीच बातचीत विफल रही. कई किसान नेताओं ने आशंका जताई है कि पुलिस कार्रवाई के चलते कुछ किसान नेता भूमिगत हो गए हैं.

चंडीगढ़ में धरने की तैयारी

एसकेएम ने 5 मार्च से चंडीगढ़ में एक हफ्ते तक धरने की घोषणा की है. भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि पंजाब पुलिस ने मंगलवार सुबह एसकेएम नेताओं के घरों पर छापे मारे. सरकार इस तरह की कार्रवाई कर किसानों की आवाज़ को दबा नहीं सकती. साथ ही लखोवाल ने किसानों से चंडीगढ़ में भारी संख्या में पहुंचने की अपील की.

नेताओं के घरों पर छापेमारी

बीकेयू के उपाध्यक्ष मुकेश चंदर शर्मा ने भी पुलिस पर छापेमारी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “मेरे घर पर सुबह 4 बजे पुलिस ने छापा मारा. मैं इस पुलिस कार्रवाई की निंदा करता हूं.”

किसान मांगें और सरकार का रुख

सोमवार को पंजाब सरकार और एसकेएम नेताओं के बीच किसानों की मांगों को लेकर बातचीत बेनतीजा रही. किसान नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बैठक के दौरान गुस्से में उठकर चले गए. हालांकि, मुख्यमंत्री मान ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन आम जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए.

एसकेएम, जिसने 2020 के कृषि कानून विरोधी आंदोलन की अगुवाई की थी, अब केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति के मसौदे को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, राज्य सरकार द्वारा छह फसलों की खरीद सुनिश्चित करने, किसानों के कर्ज निपटारे के लिए कानून बनाने और सभी खेतों तक नहर का पानी पहुंचाने जैसी मांगें कर रहा है.

इसके अलावा, किसान जबरन भूमि अधिग्रहण रोकने, गन्ना बकाया भुगतान करने और भारतमाला परियोजनाओं के लिए हो रही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया बंद करने की भी मांग कर रहे हैं.

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