खेती-किसानी आज के दौर में आसान नहीं रही, खासकर जब मौसम का मिजाज कभी भी बदल जाए और बीमारियों की मार फसल को तबाह कर दे. ऐसे में जरूरत एक ऐसी फसलों की होती हैं जो कम पानी में भी अच्छी उपज दे सकें और बीमारियों से भी लड़ सकें. इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने सरसों की एक खास वैरायटी पूसा स्वर्णिम IGC-01 है. यह वैरायटी ब्रैसिका कैरिनाटा यानी करन राय (Karan rai/Ethiopian mustard) की है, जिसे खासतौर पर उत्तर भारत के किसानों के लिए विकसित किया गया है.
बीमारियों और कीटों के प्रति सहनशील
पूसा स्वर्णिम की खासियतें ही इसे खास बनाती हैं. यह किस्म राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाई जा सकती है. जहां एक तरफ ये सूखा सहन करने में माहिर है, वहीं दूसरी ओर ये कई बड़ी बीमारियों से भी लड़ने की ताकत रखती है. खासतौर पर यह किस्म सफेद रतुआ (white rust) बीमारी के खिलाफ पूरी तरह से इम्यून है, यानी इस कीट का इसपर कोई असर नहीं होता. इसके अलावा अल्टरनेरिया ब्लाइट (Alternaria blight) बीमारी की संभावना भी इसमें काफी कम पाई गई है.
औसतन उपज 16 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
बात करें पूसा स्वर्णिम की उपज की तो अगर सिंचाई की सुविधा अच्छी हो तो यह वैरायटी औसतन 16 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, जबकि बारिश पर निर्भर खेती (रेनफेड कंडीशन) में भी यह 14 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. यह किस्म 165 दिनों में पककर तैयार हो जाती है यानी लगभग 5 महीने में फसलों की कटाई कर दूसरे फसलों की उपज कर सकते हैं. वहीं इस किस्म के बीजों से 40 से 43 प्रतिशत तक तेल की मात्रा होती है, जो इसे तेल उत्पादन के लिहाज से भी बेहतरीन बनाती है. सरसों की दूसरी किस्मों की तुलना में इसमें तेल की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह किस्म बाजार में बेहतर दाम दिलाने में मदद करते हैं.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा और रिस्क कम
जैसा कि हम सब जानते हैं, आज के समय में पानी की कमी खेती की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. ऐसे में ‘पूसा स्वर्णिम’ जैसी किस्में किसानों के लिए मददगार साबित हो सकती हैं, क्योंकि इन्हें ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. साथ ही यह किस्म बीमारियों से प्रतिरोधी होने के कारण किसान कीटनाशकों और दवाइयों पर भी कम खर्च करता है. यानी उत्पादन लागत भी कम और मुनाफा ज्यादा होता है.