शिवराज का किसानों और उद्योग को खुला संदेश, रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल रोकें, प्राकृतिक खेती अपनाएं

कृषि मंत्री ने बताया कि 2014 के बाद से देश में खाद्यान्न उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है. लेकिन इसी के साथ खेती की लागत भी बहुत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि अगर उत्पादन और लागत दोनों साथ–साथ बढ़ते रहेंगे, तो किसान आखिर बचत कहां से करेंगे?

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 9 Dec, 2025 | 09:00 AM

Agriculture News: देश में खेती का स्वरूप तेजी से बदल रहा है. एक ओर उत्पादन बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर खेती की लागत भी बढ़ती जा रही है. इसी चिंता के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों और उद्योग जगत को महत्वपूर्ण संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि अगर रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग यूं ही जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में धरती की उपज क्षमता पर गंभीर असर पड़ सकता है. उनके अनुसार खेती को बचाने के लिए प्राकृतिक, जैविक और संतुलित खेती की ओर लौटना समय की सबसे बड़ी जरूरत है.

किसानों को बताया असली वैज्ञानिक

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में आयोजित PHDCCI के एक कार्यक्रम में बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को “सबसे बड़े प्रैक्टिकल वैज्ञानिक” बताया. उन्होंने अपने बिहार दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि वहां लीची उगाने वाले किसानों ने उन्हें एक देसी तरीका दिखाया, जिससे फल की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है. किसान फल के गुच्छे के ऊपर एक खास तरह की परत लगाकर उसे ज्यादा समय तक सुरक्षित रखते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी लोकल तकनीकों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा ताकि इन्हें और बेहतर बनाया जा सके.

चौहान ने कहा कि किसानों की समझ और अनुभव किसी भी लैब से कम नहीं है. देश में कई नए और उन्नत शोध खेतों में ही पैदा होते हैं, जिन्हें मान्यता देकर आगे बढ़ाने की जरूरत है.

उत्पादन बढ़ा, लेकिन लागत भी दोगुनी हुई

कृषि मंत्री ने बताया कि 2014 के बाद से देश में खाद्यान्न उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है. लेकिन इसी के साथ खेती की लागत भी बहुत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि अगर उत्पादन और लागत दोनों साथसाथ बढ़ते रहेंगे, तो किसान आखिर बचत कहां से करेंगे?

उनके अनुसार ज्यादा मात्रा में रासायनिक खाद और कीटनाशक इस्तेमाल करने से किसान की जेब तो ढीली होती ही है, साथ ही मिट्टी की सेहत भी खराब होती जाती है. कई बार किसान ज्यादा उत्पादन तो ले आते हैं, लेकिन मुनाफा मिलने के बजाय लागत ही ब्याज बनकर उनके कंधों पर बोझ डाल देती है.

धरती को ‘ओवरलोड’ करने से बचें

चौहान ने चेतावनी देते हुए कहा कि रासायनिक दवाओं और उर्वरकों का अनियंत्रित उपयोग धरती की क्षमता को नुकसान पहुंचा रहा है. अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो डर है कि एक दिन धरती फसल देना बंद कर देगी.

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ किसान का नहीं, बल्कि पूरे उद्योग जगत का कर्तव्य है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए मिट्टी को सुरक्षित रखा जाए. उत्पादन बढ़ाने के नाम पर लगातार धरती से उसकी क्षमता के बाहर निकालना सही नहीं है.

उन्होंने अपील की कि लोग प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और कम से कम रासायनिक उपयोग की दिशा में आगे बढ़ें. सरकार भी इसी दिशा में नीतियां बना रही है ताकि किसान कम लागत में सुरक्षित खेती कर सकें.

उद्योग जगत की राय: किसानों को विकल्प भी चाहिए

कार्यक्रम में मौजूद PHDCCI की एग्रीबिजनेस कमेटी के चेयरमैन आर. जी. अग्रवाल ने कहा कि किसानों को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि उनके लिए क्या सही है. उन्होंने कहा कि जब तक कीटनाशकों के बेहतर विकल्प नहीं मिल जाते, किसान अपनी फसल को कीट और बीमारियों से बचाने के लिए इनका उपयोग करने को मजबूर हैं, क्योंकि भारत में ज्यादातर किसानों के पास बहुत कम जमीन होती है.

अग्रवाल ने कहा कि भारतीय किसानों ने हमेशा देश को संभाला है. अब समय है कि उद्योग और सरकार मिलकर उन्हें आधुनिक तकनीक, सही जानकारी और बेहतर समर्थन दें ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके और भारत का कृषि भविष्य मजबूत हो सके.

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