अमेरिकी टैक्स से यूपी की मेंथा इंडस्ट्री पर बड़ा संकट, लाखों लोगों के रोजगार पर खतरा

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैक्स लगा दिया है. इस फैसले ने न केवल निर्यातकों की नींद उड़ा दी है, बल्कि लाखों किसानों और मजदूरों की रोजी-रोटी पर भी गहरा संकट खड़ा कर दिया है.

नई दिल्ली | Updated On: 1 Sep, 2025 | 08:43 AM

उत्तर प्रदेश के रामपुर और मुरादाबाद जैसे जिले मेंथा ऑयल और एक्सपोर्ट कारोबार के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. यहां के किसान पीढ़ियों से पुदीने की खेती करके अपना जीवनयापन कर रहे हैं. लेकिन हाल ही में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैक्स लगा दिया है. इस फैसले ने न केवल निर्यातकों की नींद उड़ा दी है, बल्कि लाखों किसानों और मजदूरों की रोजी-रोटी पर भी गहरा संकट खड़ा कर दिया है.

मेंथा ऑयल क्यों है खास

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, मेंथा ऑयल एक सुगंधित तेल है, जिसका इस्तेमाल टूथपेस्ट, च्यूइंग गम, सिरदर्द की दवा, कफ सिरप, क्रीम और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में बड़े पैमाने पर किया जाता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है और इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे अहम है. रामपुर, बाराबंकी, मुरादाबाद और आसपास के जिले इस खेती के प्रमुख केंद्र हैं. अनुमान लगाया जाता है कि केवल यूपी में ही 10 लाख से अधिक किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं.

अमेरिकी टैक्स ने बढ़ाई मुश्किलें

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर दबाव बनाने के लिए भारतीय उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिया. पहले यह टैक्स 25 फीसदी था, जिसे अब बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है. नतीजतन भारतीय मेंथा ऑयल की कीमत अचानक बहुत ज्यादा हो गई. जो प्रोडक्ट पहले 20 डॉलर में बिकता था, वह अब 30 डॉलर में पहुंच गया है. अमेरिकी खरीदार इतने महंगे दाम चुकाने को तैयार नहीं हैं. इस कारण से कई ऑर्डर रुक गए हैं या पूरी तरह कैंसिल हो गए हैं.

किसानों और मजदूरों पर असर

रामपुर के निर्यातक अमृत कपूर के अनुसार, करीब 10 लाख किसान सीधे तौर पर इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. अगर निर्यात ठप हुआ तो किसानों को अपनी लागत तक निकालना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, मजदूर वर्ग भी बड़ी मुसीबत में आ जाएगा. उत्पादन घटने की स्थिति में फैक्ट्रियों में काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो सकते हैं.

मुरादाबाद की चुनौती

मुरादाबाद, जिसे ब्रास सिटी भी कहा जाता है, हर साल करीब 8,500 से 9,000 करोड़ रुपये का हैंडीक्राफ्ट निर्यात करता है. इसमें से लगभग 75 फीसदी निर्यात अमेरिका को जाता है. नए टैक्स नियमों के बाद यहां का कारोबार भी प्रभावित हो गया है. अब तक करीब 300 करोड़ रुपये के ऑर्डर रुक चुके हैं और 150 करोड़ रुपये का कारोबार दूसरे देशों की ओर शिफ्ट हो रहा है. व्यापारी हाजी इफ्तेखार का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो लगभग 2 लाख लोग बेरोजगारी का सामना करेंगे.

उद्योग जगत की मांग

इंडियन इंडस्ट्रीज फेडरेशन (रामपुर चैप्टर) के अध्यक्ष शिरीष गुप्ता का मानना है कि यह अमेरिकी सरकार का दबाव बनाने का तरीका है. उनका कहना है कि भारत सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे. निर्यातकों को राहत पैकेज मिलना चाहिए और उन्हें यूरोप, खाड़ी देशों और एशियाई बाजारों की ओर रुख करने में मदद करनी चाहिए. साथ ही किसानों के लिए फसल की न्यूनतम कीमत की गारंटी भी बेहद जरूरी है, ताकि उनकी मेहनत पर पानी न फिर जाए.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट भले ही अस्थायी हो, लेकिन अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो यूपी की मेंथा ऑयल और मुरादाबाद की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री पर भारी असर पड़ेगा. यह स्थिति साफ दिखाती है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और व्यापारिक फैसले सीधे गांवों के किसान और शहरों के मजदूर की जिंदगी को प्रभावित कर सकते हैं.

Published: 1 Sep, 2025 | 08:21 AM