किसान अक्सर ऐसी फसलों और पौधों की तलाश में रहते हैं जो कम खर्च, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफा दें. आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बता रहे हैं जिसकी खेती किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो सकती है. इसकी लकड़ी की मांग न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों तक है. यही वजह है कि बाजार में इसकी कीमत आसमान छू रही है. जी हां, हम बात कर रहे हैं तुन के पेड़ की खेती की.
फायदे का सौदा है तुन का पेड़
तुन का पेड़ दिखने में साधारण लगता है, लेकिन इसकी लकड़ी बेहद मजबूत और टिकाऊ होती है. इस लकड़ी पर दीमक या फफूंद आसानी से असर नहीं कर पाते, जिससे यह सालों साल खराब नहीं होती. यही कारण है कि इसकी मांग फर्नीचर, घर निर्माण, बढ़ईगिरी और वाद्य यंत्र बनाने में सबसे ज्यादा रहती है.
आजकल बड़े-बड़े कारोबारी और फर्नीचर कंपनियां इसकी लकड़ी को ऊंचे दामों पर खरीद रही हैं. किसान के लिए यह खेती एक लॉन्ग-टर्म इनकम सोर्स बन सकती है.
तुन के पेड़ की खेती कैसे करें?
जलवायु और मिट्टी: तुन के पेड़ की खेती खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर होती है, लेकिन मैदानी इलाकों में भी इसे उगाया जा सकता है. हल्की दोमट मिट्टी और नमीयुक्त जलवायु इसके लिए उपयुक्त है.
पौध तैयार करना: पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं. लगभग 6 से 12 महीने में पौधा रोपाई के लिए तैयार हो जाता है.
कम मेहनत वाली खेती: इस पेड़ में ज्यादा कीटनाशक और खाद की जरूरत नहीं पड़ती. एक बार रोपाई कर देने के बाद यह आसानी से बढ़ता है.
समय: लगभग 3 साल में पेड़ पूरी तरह तैयार हो जाता है.
कितना होगा मुनाफा?
तुन के पेड़ की सबसे खास बात इसका दाम है. एक परिपक्व पेड़ की कीमत बाजार में 1.5 से 2 लाख रुपये तक मिलती है. इसकी लकड़ी से फर्नीचर, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स, दरवाजे-खिड़कियां, यहां तक कि कागज भी बनाया जाता है और अगर किसान एक बार में 50–100 पेड़ लगाते हैं, तो कुछ ही सालों में लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
क्यों है तुन का पेड़ खास?
- दीमक और फफूंद से सुरक्षित लकड़ी
- हल्की होने के बावजूद बेहद मजबूत
- लंबे समय तक खराब न होने वाली गुणवत्ता
- बढ़ई और फर्नीचर उद्योग में भारी डिमांड
कुल मिलाकर, तुन का पेड़ किसानों के लिए एक कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली खेती है. आने वाले समय में जैसे-जैसे लकड़ी की डिमांड बढ़ेगी, वैसे-वैसे तुन के पेड़ की कीमत और भी ऊपर जाएगी.