Farming Tips: देश के कई राज्यों में इस समय गेहूं की खेती चल रही है. लेकिन जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, वैसे-वैसे एक खतरनाक दुश्मन भी सक्रिय हो जाता है, इस फसल का एक दुश्मन दीमक भी है. यह छोटा-सा कीट धीरे-धीरे पूरी फसल को भीतर से खोखला कर देता है, जैसे लकड़ी को दीमक चट कर जाती है.
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर इस रोग को शुरुआत में नहीं रोका गया, तो फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है और बाद में कोई दवा भी असर नहीं दिखाती.
बालियां निकलते समय सबसे ज्यादा बढ़ता है प्रकोप
गेहूं में दीमक का प्रकोप तब सबसे ज्यादा होता है जब फसल में बालियां आने लगती हैं या बालियां निकलने के तुरंत बाद की अवस्था होती है. इस समय दीमक मिट्टी के नीचे से पौधों की जड़ों पर हमला करता है और धीरे-धीरे पूरे पौधे को कमजोर कर देता है.
जैसे-जैसे दीमक पौधों की जड़ें काटता है, वैसे-वैसे पौधों का हरा रंग फीका पड़ने लगता है, पत्तियां सूख जाती हैं और बालियां झुलस जाती हैं. किसान अक्सर इसे पानी या पोषण की कमी समझते हैं, लेकिन असल में यह दीमक का शुरुआती संकेत होता है.
क्यों खतरनाक है दीमक का संक्रमण
दीमक मिट्टी के अंदर छिपकर चलता है और धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है. जब तक किसान को इसका पता चलता है, तब तक पौधों की जड़ें कट चुकी होती हैं. प्रभावित पौधे आसानी से उखड़ जाते हैं और खेत में जगह-जगह खाली हिस्से दिखने लगते हैं.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर संक्रमण फैल गया तो कोई भी दवा असर नहीं करती, क्योंकि दीमक पहले ही जड़ों के जरिए पौधे का संबंध मिट्टी से तोड़ देता है. इससे न केवल फसल की उपज घटती है, बल्कि कभी-कभी पूरी फसल भी बर्बाद हो जाती है.
कैसे करें पहचान
दीमक का पता लगाना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ संकेत ध्यान देने योग्य हैं, अगर खेत में कुछ पौधे अचानक मुरझाने लगें या ऊपर से सूखते दिखें, तो यह दीमक का संकेत हो सकता है. प्रभावित पौधों को जरा-सा खींचने पर वे जड़ से अलग हो जाते हैं. ऐसे में तुरंत कार्रवाई करना जरूरी है.
क्या है इसका इलाज
वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि खेत में शुरुआती स्तर पर दीमक दिखाई दे तो क्लोरोपायरीफॉस (Chlorpyrifos) नामक दवा का इस्तेमाल बेहद असरदार साबित होता है.
इस दवा को एक लीटर प्रति एकड़ की मात्रा में सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर खेत में छोड़ें. इससे दवा सीधे जड़ों तक पहुंचकर दीमक का नाश कर देती है. यह दवा लगभग सभी कृषि दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है.
समय पर रोक ही बचाएगी फसल
खेती विशेषज्ञों का कहना है कि दीमक का प्रकोप अगर बालियां आने से पहले या शुरुआती अवस्था में ही रोक लिया जाए, तो फसल को बचाया जा सकता है. लेकिन अगर लक्षणों को नजरअंदाज किया गया, तो एक बार जड़ें नष्ट होने के बाद कोई उपचार काम नहीं करता.
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से अपने खेतों का निरीक्षण करें और फसल में किसी भी तरह की सूखावट या मुरझाने के संकेत दिखते ही तुरंत कार्रवाई करें.
किसानों के लिए सबक
गेहूं की फसल में दीमक भले ही छोटा कीट हो, लेकिन यह मेहनत और पैदावार दोनों को चौपट कर सकता है. समय पर पहचान, सही दवा का उपयोग और सतर्क निगरानी ही फसल को इस अदृश्य दुश्मन से बचाने का एकमात्र उपाय है.