गन्ना किसानों को समय पर होगा भुगतान, बकाया राशि का भी जल्द निपटारा.. सरकार ने दिए निर्देश

बैठक के बाद कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमारा लक्ष्य खेती की लागत को कम करते हुए फसल उत्पादन को लगातार बढ़ाना है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Jul, 2025 | 04:53 PM

Sugarcane Payment: हरियाणा के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी है. प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि गन्ना किसानों का भुगतान समय पर किया जाए. साथ ही बकाया राशि जल्द से जल्द निपटाई जाए. उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए नारायणगढ़ शुगर मिल से जुड़े किसानों के लंबित भुगतान पर चर्चा की. मंत्री राणा ने कहा कि मिल में गन्ना पेराई का काम बिना रुकावट चलता रहना चाहिए और किसानों को समय पर भुगतान मिलना जरूरी है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमारा लक्ष्य खेती की लागत को कम करते हुए फसल उत्पादन को लगातार बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि किसानों को फसल बोने से पहले मिट्टी की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि मिट्टी की सेहत बनी रहे.

 जैविक खेती के लिए किया जाएगा प्रोत्साहन

उन्होंने कहा कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है. मंत्री ने यह भी कहा कि किसानों को पारंपरिक खेती के बजाय आधुनिक और विविध कृषि अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. मछली पालन और पशुपालन जैसे नए कृषि क्षेत्रों में शुरुआत करने वाले किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है.

गन्ने की फसल पर पोक्का बोइंग रोग का असर

इसी बीच खबर है कि यमुनानगर जिले के कई गांवों में गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग, टॉप बोरर और रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप देखा गया है. इससे फसल की पैदावार पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), दमला (यमुनानगर) के वैज्ञानिकों का कहना है कि पोक्का बोइंग रोग का सबसे ज्यादा असर CO-0118 और CO-0238 किस्मों में देखा गया है. वैज्ञानिकों की माने तो CO-0238 में टॉप बोरर का प्रकोप भी देखा गया, लेकिन यह केवल 5 फीसदी है, जो आर्थिक नुकसान की सीमा से कम है. इसलिए किसी रासायनिक छिड़काव की जरूरत नहीं है. किसान संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें.

किसान इस तरह करें कीटनाशकों का इस्तेमाल

जबकि, पोक्का बोइंग रोग के इलाज के लिए किसानों को 0.2 फीसदी कार्बेन्डाजिम या 0.1 फीसदी पेरोकोनाजोल का छिड़काव करने की सलाह दी गई है. वहीं, रस चूसने वाले कीटों से बचाव के लिए प्रति एकड़ 600 मिलीलीटर डाइमिथोएट (रोगोर) 30 EC का छिड़काव करना चाहिए. अगर किसान चाहें, तो प्रभावी छिड़काव के लिए प्रति एकड़ 300 से 400 लीटर पानी का उपयोग कर सकते हैं. साथ ही आगे की तैयारी को लेकर किसानों को तेराई बोरर पर जैविक नियंत्रण अपनाने की सलाह दी गई है.

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Published: 19 Jul, 2025 | 04:45 PM

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