Agriculture News: उत्तर प्रदेश में जहां खाद की किल्लत है, वहीं मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी है. खाद लेने के लिए उन्हें दुकान के बाहर घंटों लंबी कतार में इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब राज्य में खाद की होम डिलीवरी शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि किसानों के लिए उर्वरक खाद की सुविधा और आसान बनाने के लिए यह नया कदम उठाया गया है. राज्य में पहले ऑनलाइन उर्वरक वितरण प्रणाली शुरू की गई थी और अब होम डिलीवरी की सुविधा भी शुरू हो गई है. खास बात है कि यह पायलट प्रोजेक्ट विदिशा और जबलपुर में लागू किया गया है.
जबलपुर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह का कहना है कि अब तक 37,000 किसानों ने ऑनलाइन टोकन के माध्यम से खाद खरीदी है. इसी कड़ी में जबलपुर जिले के मझौली विकासखंड के सुहजनी गांव में पहली बार होम डिलीवरी शुरू की गई. जिला कृषि अधिकारी डॉ. एसके निगम ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य किसानों को कम समय में खाद उपलब्ध कराना है. उदाहरण के तौर पर, मझौली गांव के किसान ओमप्रकाश ने यूरिया ई-विकास पोर्टल पर ऑनलाइन बुकिंग की और उनके घर मझौली डबल लॉक केंद्र से 14 बोरी यूरिया पहुंचाई गई.
होम डिलीवरी पर प्रति बोरी 25 रुपए शुल्क
डॉ. एसके निगम ने कहा कि उर्वरक की होम डिलीवरी योजना फिलहाल डबल लॉक केंद्र से पांच किलोमीटर के दायरे में शुरू की गई है. इस सेवा में प्रति बोरी कुल 25 रुपए शुल्क लिया जा रहा है, जिसमें 15 रुपए परिवहन, 5 रुपए लोडिंग और 5 रुपए अनलोडिंग शामिल हैं. सोमवार तक 5 किसानों को कुल 40 बोरी उर्वरक होम डिलीवरी के जरिए उपलब्ध कराई गई. अधिकारियों ने कहा कि ई-विकास पोर्टल पर होम डिलीवरी की मांग आने पर उसी के अनुसार आपूर्ति की जाएगी.
संतकबीरनगर में यूरिया की किल्लत
वहीं, उत्तर प्रदेश में खाद की किल्लत है. संतकबीरनगर जिले के पौली, हैंसर और बेलहर क्षेत्रों की समितियों में यूरिया खाद नहीं मिल रही है, जिससे किसान परेशान हैं और कई जगह चक्कर काट रहे हैं. कुछ निजी दुकानों पर यूरिया मिल रही है, लेकिन महंगे दाम होने के कारण किसान समितियों से मिलने का इंतजार कर रहे हैं. समितियों के सचिव दावा कर रहे हैं कि यूरिया जल्द आएगी और कुछ जगह जो यूरिया आई थी, वह तुरंत बिक गई. सबसे ज्यादा समस्या धनघटा तहसील में है, जहां गेहूं की सिंचाई के चलते यूरिया की जरूरत ज्यादा है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में यूरिया की कमी नहीं है और लगातार रैक आ रही हैं, जो सभी सेंटरों पर भेजी जा रही हैं.