Farming Tips: आज के समय में अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए किसान पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ नकदी फसलों और बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है ड्रैगन फ्रूट की खेती, जो कम पानी में भी बढ़िया उत्पादन देती है और बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. बाजार में ड्रैगनफ्रूट की बढ़ती मांग के कारण अब किसान बड़े पैमानै पर इसकी खेती करने लगे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ड्रैगनफ्रूट की खेती से अच्छी कमाई करने के साथ ही उसी खेत में हल्दी, प्याज और लहसुन जैसी नकदी फसलों को लगाकर किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं.
ड्रैगन फ्रूट के साथ इंटरक्रॉपिंग के फायदे
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने पर शुरुआत में लागत ज्यादा आती है. इस लागत की भरपाई करने के लिए किसान उसी खेत में दूसरी फसलों की खेती कर सकते हैं. बता दें कि ड्रैगन फ्रूट पौधों के बीच खाली पड़ी जमीन पर हल्दी, प्याज या लहसुन आसानी से उगाई जा सकती है. ड्रैगनफ्रूट की फसल पैदावार देने में समय लेती है. इस दौरान प्याज, लहसुन और हल्दी जैसी फसलें जल्दी पैदावार देकर किसानों को अच्छी कमाई करवाती हैं. इसके साथ ही इन फसलों की खेती का एक फायदा ये भी है कि हल्दी और लहसुन जैसी फसलें मिट्टी को रोगमुक्त रखने में मदद करती हैं, जिससे ड्रैगनफ्रूट की फसल भी अच्छे से बढ़ेगी.
इस तरह करें खेती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खेत में सीमेंट के खंभे या ट्रेलिस लगाकर पौधों को सहारा देना पड़ता है. इसके बाद पौधों को लगाते समय उनके बीच 8 से 10 फीट की दूरी रखी जाती है. पौधों के बीच रखी जाने वाली इस खाली जगह पर हल्दी, प्याज और लहसुन जैसी फसलें बोई जा सकती हैं. बता दें कि प्याज और लहसुन की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है और अप्रैल तक इनकी फसल तैयार हो जाती है. वहीं, हल्दी की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच की जाती है.
मुनाफे का गणित
किसान अगर एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं तो 3 से 4 साल बाद प्रति एकड़ फसल से 8 से 10 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. जबकि अगर इंटरक्रॉपिंग विधि से किसान साथ में हल्दी, प्याज और लहसुन की खेती करते हैं, तो उन्हें हर साल 1.5 से 2 लाख रुपये एक्स्ट्रा कमा सकते हैं. इस तरह किसानों को दोगुनी आमदनी भी मिलेगी और ड्रैगन फ्रूट की खेती में आने वाली लागत की भरपाई भी आसानी से हो सकेगी.