अंडा-मीट से कमाई करनी है तो बत्तख के चूजों की देखरेख में बरतें ये 6 सावधानियां, पढ़ें डिटेल्स

Duck Farming: बतख पालन में कम खर्च और ज्यादा लाभ छिपा होता है. लेकिन उसके लिए शुरुआत से ही चूजों की देखभाल पर फोकस जरूरी है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 30 Jun, 2025 | 05:14 PM

बतख पालन अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि अंडा और मीट की डबल कमाई का एक बेहतरीन जरिया बन गया है. लेकिन मुनाफा तभी मिलेगा जब शुरुआत से ही बतख के चूजों की परवरिश सही ढंग से की जाए. अगर आप भी बतख पालन की योजना बना रहे हैं तो चूजों को पालते वक्त कुछ जरूरी सावधानियां अपनाना बेहद जरूरी है. अगर इन 6 ध्यान में रखेंगे तो आप बेहतर उत्पादन और अच्छी कमाई कर सकते हैं.

नरम चटाई से मिलेगी गर्मी और सुरक्षा

अंडों से निकलने वाले नन्हे चूजे बहुत नाजुक होते हैं. ऐसे में इन्हें सीधा फर्श पर रखने से इनके पैरों को चोट पहुंच सकती है और बीमारियां भी लग सकती हैं. इसलिए फर्श पर मुलायम चटाई जरूर बिछाएं. इससे चूजों को गर्मी भी मिलेगी और उनका विकास बेहतर होगा.

चटाई को नियमित रूप से सुखाना न भूलें

शुरूआती 5 से 6 हफ्तों तक हर 2 से 3 दिन में चटाई को धूप में जरूर सुखाएं. क्योंकि, गीली या गंदी चटाई चूजों के लिए नुकसानदायक हो सकती है. यह संक्रमण का कारण बनती है और चूजों की सेहत पर बुरा असर डालती है.

पानी और दाने की सही व्यवस्था करें

चूजों को दिन में 3-4 बार साफ पानी पिलाएं. इसके अलावा, खाने में मक्का और मूंगफली नहीं, बल्कि टूटे हुए चावल का बारीक दाना पानी में भिगोकर दें. यह उनके लिए हल्का, पचने में आसान और पोषक होता है.

दो हफ्ते बाद खुला वातावरण दें

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंडों से निकलने के करीब दो हफ्ते बाद चूजे थोड़े मजबूत हो जाते हैं. तब आप उन्हें खुले में छोड़ सकते हैं ताकि वो खुद दाना चुग सकें. क्योंकि इस दौरान कुत्तों, बिल्लियों, सांपों आदि से उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है.

एक महीने बाद तालाब में छोड़े

एक महीने की उम्र के बाद चूजे पानी में तैरने के लिए तैयार हो जाते हैं. तब आप उन्हें तालाब या पोखर में छोड़ सकते हैं. इससे उनका विकास तेज होगा और वे प्राकृतिक ढंग से भोजन भी खोज पाएंगे.

5वें महीने में अंडा और कमाई दोनों

चार महीने में नर और मादा बतख की पहचान हो जाती है. इस दौरान नर बतख का शरीर भारी हो जाता है और उसकी पूंछ ऊपर की ओर मुड़ी होती है. वहीं, पांचवें महीने में मादा अंडे देने लगती है. यही वो समय होता है जब नर बतखों को बेच देना चाहिए, इससे चारे की बचत होगी और पैसे भी मिलेंगे.

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