Tamil Nadu News: चक्रवात के कारण तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा इलाकों में भारी बारिश हुई. इससे गन्ने की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. ऐसे में किसानों को डर है कि पैदावार उम्मीद से कम होगी. स्थानीय किसानों का कहना है कि तेज हवा के चलते गन्ने की पूरी फसल जमीन पर गिर गई. इससे गन्ने की क्वालिटी पर भी असर पड़ा है. इससे किसानों की चिंता है कि पोंगल से पहले गन्न की क्वालिटी से बाजार में उचित रेट नहीं मिलेगा.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, थंजावुर जिले के वरगुकोट्टई गांव में किसान एस. प्रभाकरण गुरुवार को अपनी फसल की आखिरी तैयारी कर रहे थे. उन्होंने कहा कि चक्रवात के बाद यह सीजन आर्थिक रूप से मुश्किल हो गया है. सामान्य स्थिति में भी एक एकड़ गन्ने की खेती पर 1 से 1.5 लाख रुपये तक खर्च आता है. एक एकड़ में करीब 22,000 गन्ने लगाए जा सकते हैं, लेकिन पिछले हफ्ते तेज हवा और बारिश से उनकी फसल का बड़ा हिस्सा गिर गया. उन्होंने कहा कि गन्ना गिरते ही उसकी गुणवत्ता और रिकवरी दोनों कम हो जाती है. इस बार बड़ा हिस्सा प्रभावित है, इसलिए पैदावार भी कम होगी. पोंगल के लिए गन्ना सामान्यतः 10 महीने में तैयार होता है और फसल के पकने के समय ऐसी कोई भी परेशानी सीधे आर्थिक नुकसान पहुंचाती है.
कितना है गन्ने का रेट
इस बार गन्ने के दाम किसानों की चिंता बढ़ा रहे हैं. प्रभाकरण के अनुसार अभी 1,000 गन्नों का रेट करीब 15,000 रुपये है, जो खर्च के हिसाब से बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है, क्योंकि केवल कटाई का खर्च ही प्रति एकड़ 2,000 रुपये से कम नहीं होता. उनका कहना है कि किसानों को बचाने के लिए कम से कम 20,000 रुपये प्रति 1,000 गन्ने मिलना जरूरी है. इसके बावजूद सरकार सीधे किसानों से खरीद नहीं करती. बीच के एजेंट और बिचौलिये ही फसल खरीदकर सरकार को देते हैं और किसानों को सबसे कम दाम मिलता है.
फेडरेशन की क्या है मांग
तमिलनाडु कावेरी फार्मर्स प्रोटेक्शन फेडरेशन के सचिव सुंदर विमल नाथन ने द हिंदू से कहा कि इस साल के पोंगल गिफ्ट हैम्पर में बदलाव जरूरी है, ताकि किसानों को सही दाम मिल सके. उनके मुताबिक हर राशन कार्डधारक को एक की जगह दो गन्ने मिलने चाहिए और हैम्पर में पारंपरिक गुड़, अच्छू वेलम या उरुंदै वेलम शामिल होना चाहिए, जिसे सिर्फ तमिलनाडु के किसानों से खरीदा जाए, बाहर से नहीं.
35 रुपये प्रति डंडा तय हो रेट
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने गन्ने का दाम 35 रुपये प्रति डंडा तय किया था, लेकिन बिचौलियों के कारण किसानों तक केवल 13 से 15 रुपये ही पहुंच पाता था. इसलिए इस बार खरीद मूल्य 45 रुपये प्रति डंडा होना चाहिए और पूरा भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजा जाना चाहिए ताकि कोई गड़बड़ी न हो. उन्होंने सरकार से पोंगल पैकेज का आदेश जल्द जारी करने और पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की.
2,000 हेक्टेयर में गन्ने की खेती
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार तंजावुर जिले में लगभग 2,000 हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है, जिनमें से करीब 200 एकड़ में ‘पन्नीर करुम्बू’ उगाया जाता है, जो पोंगल के लिए सबसे पसंदीदा किस्म है. चूंकि चक्रवात फसल के अंतिम चरण में आया, इसलिए कई क्षेत्रों में गन्ना गिरने से बाजार में त्योहार के लिए उपलब्ध गन्ने की मात्रा घटने की आशंका है.