सिर्फ कुछ ही किसानों को मिल रहा है एमएसपी का फायदा, रिसर्च में सामने आई सच्‍चाई

धान के सिर्फ 15 प्रतिशत और गेहूं के सिर्फ 9.6 प्रतिशत किसानों को ही एमएसपी के जरिये होने वाली खरीद का फायदा मिल पा रहा है. रिसर्च में यह भी कहा गया है एमएसपी कीमतों के जोखिम से किसानों के हितों की रक्षा करता है.

Kisan India
Noida | Updated On: 5 Mar, 2025 | 06:46 PM

केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच जल्‍द ही एक और दौर की वार्ता होने वाली है. अगले कुछ दिनों में जब यह मीटिंग होगी तो इसमें किसानों की तरफ से की जा रही कई मांगों के अलावा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी पर भी चर्चा होगी. लेकिन इससे पहले एक सरकारी संस्‍थान की तरफ से जो रिसर्च हुई है, उसके नतीजे हैरान करने वाले हैं. इस रिसर्च पेपर के अनुसार एमएसपी किसानों के लिए ज्‍यादा आय और फसल सुनिश्चित करती है मगर सिर्फ कुछ ही किसानों को इसका फायदा मिल रहा है.

बड़े किसान उठा रहे एमएसपी का फायदा

बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार धान के 15 प्रतिशत और गेहूं के सिर्फ 9.6 प्रतिशत किसानों को ही एमएसपी के जरिये होने वाली खरीद का फायदा मिल पा रहा है. धान के किसान बाजार में बिकने योग्‍य 24 प्रतिशत अतिरिक्‍त फसल को बेचने में समर्थ हैं तो गेहूं के किसानों के लिए यह आंकड़ा 21 प्रतिशत है. जो बात सबसे ज्‍यादा परेशान करने वाली है, वह है कि एमएसपी के फायदे हर किसान तक नहीं पहुंचे हैं. सिर्फ बड़े किसानों को ही इसके फायदे मिल रहे हैं. जबकि छोटे और सीमांत किसान जिन्‍हें वाकई एमएसपी की जरूरत है, उन्‍हें मौजूदा एमएसपी सिस्‍टम का फायदा उसी अनुपात में नहीं मिल रहा है, जो बड़े किसान उठा रहे हैं.

सिस्‍टम से दूर छोटे किसान

इस रिसर्च पेपर को ‘Dilemma of Agriculture Price Policy Reforms: Balancing Food Security’ नाम दिया गया है. इसे ICAR के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्‍चरल इकोनॉमिक्‍स एंड पॉलिसी रिसर्च (NIAP) की तरफ से पब्लिश किया गया है. इस पेपर को NIAP के वैज्ञानिक प्रभात किशोर, डायरेक्‍टर पीएस बीरथल और सीनियर साइंटिस्‍ट एसके श्रीवास्‍तव ने मिलकर तैयार किया है.

पेपर के अनुसार, ‘बड़े किसानों को एमएसपी खरीद सिस्‍टम का फायदा मिल रहा है. धान के 31.3 फीसदी किसान और 23.5 फीसदी गेहूं के किसान जो बाजार में हिस्‍सेदारी रखते हैं, उनमें धान का 37.8 प्रतिशत बिक्री योग्‍य अधिशेष और गेहूं का 29.8 प्रतिशत का निपटारा किया गया. जबकि सिर्फ 10.5 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत सीमांत किसान ही धान और गेहूं की बिक्री एमएसपी पर कर सके. इसमें से 12.6 प्रतिशत धान का अधिशेष और 7.3 प्रतिशत गेहूं के अधिशेष का निपटारा बाजार में हो सका.

एमएसपी के हैं फायदे भी

इस पेपर को साल 2018.2019 में नेशनल सैंपल ऑफिस की तरफ से कराए गए सिचुएशन असेसमेंट सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है. हालांकि इस पेपर में यह भी कहा गया है एमएसपी कीमतों के जोखिम से किसानों के हितों की रक्षा करता है. पेपर के मुताबिक एमएसपी की पहल किसानों को और उत्‍पादन करने के लिए प्रेरित करती है. इसके अलावा एमएसपी पहल किसानों आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने में मदद करती है जैसे बेहतर बीजों और फर्टिलाइजर जिसकी वजह से उच्‍च पैदावार वाली फसल होती है.

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Published: 5 Mar, 2025 | 06:10 PM

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