जैसे इंसानों को सही देखभाल की जरूरत होती है, वैसे ही ट्रैक्टर को भी समय-समय पर ध्यान देना जरूरी है. अगर किसान कुछ आसान उपाय अपनाएं, तो ट्रैक्टर सालों-साल बिना ज्यादा खर्च के बढ़िया चलता रहेगा और बार-बार मिस्त्री के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 13 राज्यों में करोड़ों किसानों को भेजे गए AI आधारित ‘मॉनसून अलर्ट’ ने उनकी खेती की रणनीति बदल दी. कई किसानों ने इन संदेशों के आधार पर बुवाई की तारीख बदल दी, तो कुछ ने फसल और इनपुट बदलने का बड़ा फैसला लिया.
इस रिकॉर्ड की आधिकारिक घोषणा और प्रमाणपत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में की जाएगी. यह उपलब्धि न केवल तकनीकी दृष्टि से बड़ी है, बल्कि यह किसानों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है.
पंजाब, हरियाणा, यूपी और एमपी जैसे राज्यों में बड़ी मात्रा में पराली निकलती है. पराली जलाने से हवा में PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कण बढ़ जाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अच्छी बात यह है कि अब तकनीक किसानों को इस समस्या से बाहर निकलने का रास्ता दे रही है.
धान की कुटाई के दौरान चावल टूटना किसानों के लिए बड़ा नुकसान है, क्योंकि इससे उपज की गुणवत्ता और बाजार भाव दोनों कम हो जाते हैं. लेकिन थोड़ी-सी सावधानी, सही नमी और मशीन की सेटिंग ठीक करके चावल टूटने की समस्या काफी हद तक रोकी जा सकती है. ये उपाय किसान की कमाई बढ़ाने में मदद करते हैं.
भारतीय बाजार के साथ-साथ महिंद्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पकड़ मजबूत की है. निर्यात में 9 प्रतिशत की वृद्धि बताती है कि विदेशी बाजारों में भी भारतीय ट्रैक्टरों की मांग लगातार बढ़ रही है. अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में कंपनी का विस्तार इसकी अंतरराष्ट्रीय सफलता का मुख्य कारण है.