राजस्थान के पाली जिले के सोजत क्षेत्र की मेहंदी दुनियाभर में अपनी गुणवत्ता और प्राकृतिक रंगत के लिए मशहूर है. लेकिन लंबे समय से मेहंदी किसानों को कटाई के समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. मौसमी बदलाव, श्रमिकों की कमी और बढ़ती मजदूरी ने किसानों की कमर तोड़ दी थी. अब जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने पाली सोजत के किसानों के लिए बड़ी सौगात दी है.
कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर ने तकनीकी नवाचार करते हुए हीना हार्वेस्टर मशीन तैयार की है. यह मशीन सोजत के हजारों किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरी है. इस मशीन की मदद से किसानों की कटाई लागत आधी से भी कम हो जाएगी और क्वालिटी बेहतर बनाए रखने में मददगार है. जबकि, पारंपरिक रूप से कटाई के समय मेहंदी को होने वाली बर्बादी भी घटेगी.
मेहंदी की कटाई के लिए बेस्ट समाधान बनी हीना हार्वेस्टर मशीन
जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. वी.एस. जैतावत ने प्रसार भारती से कहा कि यह मशीन किसानों के लिए ‘सपने के सच होने’ जैसा है. उन्होंने बताया कि सोजत की मेहंदी विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखती है, ऐसे में किसानों की समस्याओं का समाधान विश्वविद्यालय की प्राथमिक जिम्मेदारी थी.
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डॉ. जैतावत ने बताया कि मौसमी बदलाव के कारण मेहंदी की कटाई तय समय में करना बेहद जरूरी होता है. लेकिन कुशल श्रमिकों की कमी, महंगी मजदूरी और समय पर कटाई न हो पाने से पत्तियों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी. अब हीना हार्वेस्टर मशीन इस चुनौती का समाधान बनकर सामने आ रही है.
2500 रुपये हर दिन की मजदूरी का खर्च बचेगा
मौसमी बदलावों के चलते फसल तैयार होने के बाद 10–12 दिन में कटाई अनिवार्य होती है, लेकिन श्रमिकों की मजदूरी 1200 से 2500 रुपए प्रति दिन पहुंच जाने से किसानों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा था. इसके साथ ही देरी होने पर फसल की क्वालिटी भी प्रभावित हो रही थी. इस दिक्कत को दूर करने के लिए हीना हार्वेस्टर मशीन तैयार की गई है.
एक दिन में 12 बीघा फसल की कटाई हो सकेगी
तकनीकी रूप से उन्नत हिना हार्वेस्टर मशीन एक दिन में 10 से 12 बीघा क्षेत्र की कटाई कर देती है. इससे प्रति बीघा खर्च सिर्फ 800 से 1000 रुपए आता है, जबकि पारंपरिक श्रमिकों से कटाई में यही खर्च 4000 रुपए तक पहुंच जाता है. इस मशीन से समय और मेहनत दोनों की बचत होगी, साथ ही मेहंदी की पत्तियों की गुणवत्ता भी समान और बेहतर बनी रहेगी.
किसानों की कमाई बढ़ेगी और नुकसान घटेगा
किसान कौशल विकास केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने बताया कि सोजत देश का नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे प्रमुख मेहंदी उत्पादन क्षेत्र है, जहां 90 से 95 प्रतिशत मेहंदी का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि सोजत की मेहंदी पहले ही वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना चुकी है और अब यह तकनीकी नवाचार किसानों की आय बढ़ाने और मेहनत कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. मेहंदी उत्पादन से जुड़े हजारों परिवारों के लिए यह वाकई एक बड़ी राहत की खबर है.