हेल्दी बकरियां मोटा मुनाफा: प्लेग और चेचक से बचाव के गजब टिप्स

अगर आप बकरी पालन से अच्छी कमाई चाहते हैं तो प्लेग और चेचक जैसी बीमारियों से बचाव जरूरी है. समय पर टीकाकरण, साफ-सफाई और सतर्कता अपनाकर आप बकरियों को स्वस्थ रख सकते हैं और मुनाफा बढ़ा सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 14 Jun, 2025 | 11:56 PM

बकरी पालन छोटे किसानों और ग्रामीण परिवारों के लिए कमाई का शानदार जरिया है. लेकिन प्लेग और चेचक जैसी बीमारियां इस कारोबार को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं. ये दोनों रोग बकरियों और उनके बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. अच्छी बात ये है कि कुछ जरूरी सावधानियां और समय पर टीकाकरण से इनसे आसानी से बचा जा सकता है.

बीमारी के संकेत पहचानें

पशु विशेषज्ञों का मानना है कि प्लेग में बकरी को तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी, नाक बहना और पतला गोबर होता है. यह बीमारी वसंत ऋतु में तेजी से फैलती है. वहीं चेचक में बकरी की भूख कम हो जाती है, निमोनिया जैसे लक्षण दिखते हैं और बच्चे दूध पीना बंद कर देते हैं. अगर ऐसे संकेत दिखें तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.

समय पर टीकाकरण जरूरी

प्लेग और चेचक जैसी गंभीर बीमारियों से बचने का सबसे आसान तरीका है, समय पर वैक्सीनेशन. सरकारी पशु चिकित्सा केंद्रों पर ये टीके मुफ्त या बहुत कम कीमत में उपलब्ध हैं. इतना ही नहीं एक बार टीका लगवाने से इलाज का भारी खर्च बचाया जा सकता है.

सावधानी से रोकें बीमारी का फैलाव

अगर किसी बकरी में बीमारी के लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत बाकी जानवरों से अलग करें. उसके बाद साफ, सूखा और हवादार स्थान दें और डॉक्टर की सलाह तुरंत लें. इसके अलावा बकरियों को संतुलित आहार दें ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे.

बाड़ा और मौसम का रखें ध्यान

बकरियों के बाड़े को हमेशा साफ और सूखा रखें. बरसात और सर्दी जैसे मौसम में खास सतर्कता जरूरी है क्योंकि इस समय संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसमें ध्यान देने की बात यह है कि समय-समय पर नजदीकी पशु चिकित्सक से सलाह लेते रहें. साथ ही बाड़े में धूप और हवा का उचित प्रवाह बना रहे, यह सुनिश्चित करें. गंदगी, नमी और कीचड़ से बीमारी जल्दी फैलती है, इसलिए बाड़े की नियमित सफाई बेहद जरूरी है. इसके अलावा बकरियों को ठंडी हवा और बारिश से बचाने के लिए बाड़े को मजबूत और सुरक्षित बनाएं. साथ ही, मौसम बदलते ही बकरियों के खान-पान और देखभाल में थोड़ा बदलाव भी करें, ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे.

Published: 15 Jun, 2025 | 06:00 AM