भारत-पाक टेंशन से बॉर्डर इलाकों में नहीं मिल रहे मजदूर, किसान कैसे करें बासमती की खेती

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बॉर्डर इलाकों में बासमती धान की बुवाई पर असर पड़ा है. फायरिंग के चलते 1,000 से अधिक मजदूर अपने घर लौट गए, जिससे किसानों की खेती में परेशानी हो रही है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 23 May, 2025 | 04:19 PM

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन और गोलाबारी हमलों के चलते इस बार बासमती धान की बुवाई के सीजन में मजदूरों की भारी कमी हो गई है. भारत- पाकिस्तान टेंशन के चलते बॉर्डर इलाकों के खेतों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर वापस अपने-अपने घर चले गए हैं. ऐसे में किसान सरकार से मजदूरों की वापसी की अपील कर रहे हैं, ताकि खेती का काम दोबारा शुरू हो सके. हालांकि, किसानों का कहना है कि 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आरएस पुरा बॉर्डर बेल्ट के बासमती उगाने वाले खेत अभी खाली पड़े हैं. मजदूरों की कमी के कारण गांव के लोग अब घरेलू मदद से धान की बुवाई शुरू कर रहे हैं. पाकिस्तान की फायरिंग शुरू होने के बाद 8 मई से अब तक लगभग 1,000 से 1,500 मजदूर इलाके से पलायन कर चुके हैं. अब्दुलियां गांव के किसान गरमीत सिंह ने कहा कि हम 10 दिन बाद अपने घर लौटे हैं. यहां हालात बिल्कुल युद्ध जैसे थे. अब हमने गांव वालों और घर के लोगों की मदद से खेती शुरू कर दी है. लेकिन मजदूरों की कमी बनी हुई है. यह गांव जीरो लाइन से सिर्फ 400 मीटर दूर है. यहां बासमती धान की बुवाई का वक्त शुरू हो गया है, इसलिए किसान काम में देरी नहीं करना चाहते.

इन राज्यों के मजदूरों से अपील

आरएस पुरा और अर्निया सेक्टर के कई गांवों में किसान अपने परिवारों के साथ खेतों में काम करते दिखाई दिए. गुलाबगढ़ बस्ती के रहने वाले और इंटरनेशनल बॉर्डर के पास खेती करने वाले सिकंदर कुमार ने बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और राजस्थान से आए मजदूरों से अपील की है कि वे वापस लौटें और धान की बुवाई में मदद करें, ताकि सीजन में देरी न हो. उन्होंने कहा कि अब फायरिंग बंद हो चुकी है, सीजफायर का ऐलान हो गया है और हालात शांत हैं. हम सभी मजदूरों से निवेदन करते हैं कि वे लौटें और खेती के काम में हमारे साथ जुड़ें.

100 से ज्यादा जिंदा गोले खोजकर नष्ट किए

सिकंदर कुमार ने अकेले ही अपने ट्रैक्टर से ऑक्टेरियो बॉर्डर आउट पोस्ट (BoP) के पास खेत तैयार करने शुरू कर दिए हैं. उन्होंने चिंता जताई कि पाकिस्तानी सेना की तरफ से दागे गए मोर्टार और गोले कई खेतों में धंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इन अनफटे गोले खेतों में अभी भी खतरा बने हुए हैं. पहले भी ऐसी घटनाओं में किसान जान गंवा चुके हैं. लेकिन इस बार सेना लगातार इलाके की सफाई कर रही है. बीते एक हफ्ते में सेना के इंजीनियर और बम डिस्पोजल टीमों ने खेतों और गांवों से 100 से ज्यादा जिंदा गोले खोजकर नष्ट किए हैं.

1.25 लाख हेक्टेयर खेती गोलेबारी की रेंज में

जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में करीब 1.25 लाख हेक्टेयर खेती की जमीन पाकिस्तानी गोलेबारी की रेंज में आती है. त्रेवा, महाशे-दे-कोठे, गुलाबगढ़, सुचेतगढ़, अब्दुलियां, चंदू चक, घराना, बुल्ला चक और कोरोताना कलां जैसे गांवों में लोग सुबह और शाम के समय धान की बुवाई कर रहे हैं, क्योंकि दिन में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. अब्दुलियां गांव के अवतार सिंह इस बात से खुश हैं कि अब खेती दोबारा शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि अब गांव के ज्यादातर लोग वापस लौट आए हैं, और मुझे उम्मीद है कि मजदूर भी जल्दी लौटेंगे.

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