मिलेट मिशन के तहत सरकार दे रही 30 हजार प्रोत्साहन राशि, एक साल में दोगुना हुआ उत्पादन

दो साल पहले तक झारखंड में 20 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती होती थी. वर्तमान में 20 हजार से बढ़कर मोटे अनाज की खेती 40 हजार हेक्टेयर में होती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 14 Jun, 2025 | 03:40 PM

कृषि उत्पादन के क्षेत्र में झारखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसकी जानकारी झारखंड सरकार ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है. राज्य सरकार ने मिलेट्स यानी मोटे अनाज की खेती को लेकर राज्य की स्थिति को बेहतर बताया है. राज्य में मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश की सरकार किसानों को 30 हजार रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि देती है. जानकारी के अनुसार पिछले दो सालों में झारखंड ने मोटे अनाज की खेती में वृद्धि हुई है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले सालों में मिलेट यानी मोटे अनाज की खेती में और भी वृद्धि आने की संभावना है. तो चलिए इस खबर में जान लेते हैं कि झारखंड में मिलेट्स की खेती का क्या स्तर है.

4.50 लाख हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य

एक रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले तक झारखंड में 20 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती होती थी. वर्तमान में 20 हजार से बढ़कर मोटे अनाज की खेती 40 हजार हेक्टेयर में होती है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में 45 हजार मीट्रिक टन मिलेट का उत्पादन दर्ज किया गया था.जबकि पहले यह उत्पादन केवल 20 हजार मीट्रिक टन ही था. आने वाले दिनो में प्रदेश सरकार मिलेट की खेती को और विस्तारित करने की योजना बना रही है. इसके साथ ही प्रदेश में मिलेट्स के अच्छे बाजार को देखकर यहां के किसान भी काफी उत्साहित हैं.

क्या है झारखंड का मिलेट मिशन

झारखंड में मिलेट मिशन के तहत ही मिलेट की खेती में बढ़ोतरी देखने को मिली है. बता दें कि मिलेट की खेती को बढ़ावा देने के लिए झारखंड सरकार की ओर से मिलेट मिशन के तहत किसानों को मोटे अनाज की खेती पर प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. किसानों को प्रति एकड़ 3 हजार रुपये की दर से अधिकतम 5 एकड़ के लिए 15 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. मिलेट मिशन के लिए झारखंड सरकार ने 50 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था.

कहां होती है मिलेट की सबसे ज्यादा खेती

बता दें, झारखंड के गुमला जिले को मिलेट उत्पादन का केंद्र माना जाता है. आंकड़ों के अनुसार गुमला में 29 हजार 5600 से ज्यादा किसानों ने 25 हजार एकड़ से भी ज्यादा जमीन पर रागी की खेती की थी. वहीं साल 2024 में गुमला में 15 हजार 500 मीट्रिक टन रागी का उत्पादन दर्ज किया गया था. इस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सरकार की ओर से उच्च उपज देने वाली किस्मों के बीज मुफ्त में दिए गए थे.

झारखंड में अन्य फसलों की स्थिति

झारखंड में मोटे अनाज के साथ-साथ दलहन और तिलहन की भी खेती करीब 52 हजार 55 हेक्टेयर जमीन पर शुरू हुई है. इन फसलों में गेहूं, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी, मक्का, सरसों और चने की खेती शामिल है. प्रदेश सरकार भी कृषि क्षेत्र को विकसित करने और किसानों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सभी फसलों के बीज मुफ्त में मुहैया करा रही है. बता दें कि झारखंड में प्रमुख रूप से धान, गेहूं, मक्का, दलहन व किलहन की खेती की जाती है.

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