शेर-तेंदुए की मौत ने खोली पोल! क्या H5N1 से लौट रहा है महामारी का खतरा? एक्सपर्ट की राय

उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में H5N1 वायरस फैलने से भूमि सफारी बंद हो गई है. इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि वायरस तेजी से म्यूटेट हो सकता है, इसलिए बायो-सिक्योरिटी और सतर्कता बेहद जरूरी है.

नोएडा | Updated On: 2 Jun, 2025 | 05:35 PM

उत्तर प्रदेश के इटावा, कानपुर और गोरखपुर में शेर, तेंदुए और पक्षियों की अचानक हुई मौत ने पूरे वन्यजीव विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय को चौकन्ना कर दिया है. इन मौतों के पीछे एक नाम बार-बार उभर रहा है H5N1 वायरस, यानी एवियन इन्फ्लूएंजा. वही वायरस जो कभी पक्षियों तक सीमित था, अब शेर, तेंदुआ और भेड़िए जैसे मांसाहारी जानवरों को भी अपनी चपेट में ले रहा है.

डर ये है कि क्या यह वायरस महामारी का रूप ले सकता है? क्या कोरोना के बाद एक और महामारी दस्तक दे रही है? सीएलएफएमए (CLMFA) Compound Livestock Feed Manufacturers of India) ऑफ इंडिया की टेक्ननिकल कमेटी के सदस्य डॉक्टर अजीत रानडे ने किसान इंडिया से विशेष बातचीत में खुलकर विभिन्न बिंदुओं, महामारी, वायरस को लेकर सलाह और बचाव के बारे में बताया.

क्या है H5N1 वायरस और कैसे बदल रहा है रूप

H5N1 एक एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस है, जो प्रमुख रूप से पक्षियों में पाया जाता है. डॉक्टर अजीत रानडे ‘किसान इंडिया’ से हुई विशेष बातचीत के दौरान बताते हैं कि यह वायरस तेजी से म्यूटेट यानी रूप बदलने की क्षमता रखता है. शुरुआत में यह केवल प्रवासी और जंगली पक्षियों में दिखा, फिर पानी के पक्षियों, बैकयार्ड पोल्ट्री और अब संगठित पोल्ट्री फार्म तक पहुंच गया है.

चौंकाने वाली बात ये है कि अब ये वायरस सिर्फ पक्षियों तक सीमित नहीं रहा. अब ये शेर, तेंदुआ और भेड़िए जैसे जानवरों को भी बीमार कर रहा है. यानी वायरस ने प्रजाति की दीवार तोड़ दी है. वैज्ञानिक इसे ‘एंटीजेनिक शिफ्ट’ और ‘एंटीजेनिक ड्रिफ्ट’ कहते हैं. मतलब वायरस अब अपना रूप और व्यवहार तेजी से बदल रहा है. यही बदलाव इसे और ज्यादा खतरनाक बना देते हैं, क्योंकि अब ये नई प्रजातियों में भी प्रवेश कर सकता है.

फिर लौट रहा है महामारी का डर?

इटावा की लायन सफारी को बंद कर दिया गया है. गोरखपुर के जू में बाघ ‘शक्ति’ और कानपुर प्राणि उद्यान में शेर ‘पटौदी’ की मौत से सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह संक्रमण अब वन्यजीवों से इंसानों तक आने की राह पर है.

इस पर महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (MAFSU) में पोल्ट्री विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. अजीत रानडे का मानना है कि अभी H5N1 और कोरोना वायरस अलग-अलग परिवार के हैं, इसलिए इनकी तुलना नहीं होनी चाहिए. लेकिन वायरस का क्रॉस-स्पीशीज ट्रांसमिशन यानी एक प्रजाति से दूसरी में फैलने की क्षमता डर पैदा करती है.

बायो-सिक्योरिटी ही एकमात्र हथियार

डॉ. रानडे साफ कहते हैं कि हमें वायरस को रोकने के लिए बायो-सिक्योरिटी को सबसे बड़ा हथियार बनाना होगा. इसके तहत सफाई, स्वच्छता, कीटाणुशोधन, टीकाकरण और फार्म स्तर पर कड़े प्रोटोकॉल जरूरी हैं. इसके अलावा, पशु और पक्षियों के संपर्क में आने वाले लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी. फार्म हाउस और चिड़ियाघरों में बाहर से वायरस के प्रवेश को रोकने के लिए हर स्तर पर निगरानी जरूरी है.

आम लोगों के लिए चेतावनी और सुझाव

भले ही फिलहाल H5N1 से इंसानों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया हो. लेकिन लक्षणों की अनदेखी भारी पड़ सकती है. बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षणों को हल्के में न लें.

Published: 2 Jun, 2025 | 05:35 PM