भारत में बर्ड फ्लू यानी एवियन इन्फ्लूएंजा के लगातार बढ़ते मामलों ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है. गोरखपुर से लेकर गोवा तक कई राज्यों में संक्रमित पक्षियों की पहचान के बाद अब पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने देशभर में रोकथाम की रणनीति तेज कर दी है. बर्ड फ्लू के वायरस H5N1 से निपटने के लिए केंद्र ने पता लगाओ और मारो जैसी सख्त नीति अपनाई है, जिसमें संक्रमित पक्षियों को तत्काल खत्म कर वायरस का संक्रमण रोका जाता है. हालांकि, सरकार मारे गए पक्षियों और अंडे चारे से प्रभावित किसानों को मुआवजा देती है.
पता लगाओ और मारो’ नीति से वायरस की रोकथाम
देश में बर्ड फ्लू के खतरनाक फैलाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि संक्रमित पक्षियों को तुरंत चिन्हित कर मारना ही वायरस की चेन तोड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है. इसके तहत प्रकोप के एक किलोमीटर के दायरे को पूरी तरह सैनिटाइज किया जाता है और वहां पक्षियों की आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है.
हालंकि पशुपालन विभाग ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रतिदिन निगरानी रिपोर्ट भेजें और हाई अलर्ट मोड में रहें, खासकर सर्दियों के मौसम में जब प्रवासी पक्षियों के कारण संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
मुर्गियों से लेकर बाघ-तेंदुओं पर भी निगरानी
एचपीएआई (Animal and Plant Health Inspection) के खतरे को अब सिर्फ पोल्ट्री तक सीमित नहीं रखा गया है. अब यह निगरानी प्रणाली बाघ, तेंदुआ, बिल्ली, गिद्ध और क्रेन जैसे गैर-पोल्ट्री प्रजातियों तक फैला दी गई है. 1 जनवरी से 4 अप्रैल 2025 के बीच महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गोवा में कई प्रजातियां बर्ड फ्लू से प्रभावित पाई गईं.
राज्यों में प्रभावित प्रजातियां
बर्ड फ्लू से महाराष्ट्र में बाघ, तेंदुआ और गिद्ध जैसे बड़े जानवरों में, वहीं मध्यप्रदेश और राजस्थान में पालतू बिल्ली, डेमोइसेल क्रेन और पेंटेड स्टॉर्क जैसे जानवरो में, बिहार में कौए तो गोवा में जंगली बिल्ली में भी वायरस की पुष्टि हुई है, जो चिंता का विषय है. हालांकि राहत की बात यह है कि मवेशी, बकरी और सूअर जैसे घरेलू जानवरों में अब तक वायरस की पुष्टि नहीं हुई है.
केंद्र-राज्य से किसानों को मिलेगा मुआवजा
बर्ड फ्लू से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर संयुक्त टीमें बनाई हैं, जो प्रकोप के दौरान तत्काल राहत और नियंत्रण के उपाय लागू करती हैं. पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना के तहत केंद्र और राज्य 50-50 लागत पर उन किसानों को मुआवजा भी देते हैं, जिनके पोल्ट्री पक्षी मारे जाते हैं या जिनके अंडे और चारा नष्ट किया जाता है. साथ ही भारत ने H5N1 से जुड़े नमूनों का डेटा अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक नेटवर्क के साथ साझा कर वैश्विक सहयोग भी बढ़ाया है.