बिहार सरकार अब किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है. राज्य के 21 प्रमुख कृषि उत्पादन बाजारों को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए कुल 1,289.07 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. उप मुख्यमंत्री एवं सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि इस पहल का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का सर्वोत्तम मूल्य दिलाना, पारदर्शी बाजार व्यवस्था तैयार करना और प्रसंस्करण से लेकर निर्यात तक के हर मोर्चे पर बिहार को आत्मनिर्भर बनाना है.
छपरा समेत कई जिलों में प्रोजेक्ट चालू
राज्य सरकार ने कृषि विपणन निदेशालय के तहत प्रदेश भर के कृषि बाजार प्रांगणों को आधुनिक स्वरूप देने का काम शुरू कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में गुलाबबाग (पूर्णिया), मुसल्लहपुर (पटना), आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर और मोहनियां सहित 12 बाजारों के विकास हेतु 748.46 करोड़ रुपये की लागत से योजनाएं मंजूर की गईं. वहीं 2022-23 में सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा और बिहटा के लिए 540.61 करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं.

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केला और मछली बाजार भी बनेंगे
कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने आधुनिक बाजारों में वे-ब्रिज, वेंडिंग प्लेटफॉर्म, प्रशासनिक भवन, जल निकासी, श्रमिक विश्राम गृह, अतिथि गृह, मछली बाजार, केला मंडी, आंतरिक सड़कें, सोलर पैनल, कैंटीन और कम्पोस्टिंग प्लांट जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. इससे न केवल किसानों को बेहतर बाजार मिलेगा, बल्कि खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जिससे उन्हें अपनी उपज का वाजिब दाम मिल सकेगा.
बाजारों को ई-नाम से जुड़ने की योजना
राज्य सरकार e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) योजना को भी मजबूती से लागू कर रही है, जिससे किसान अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेच सकें. इससे स्थानीय मंडियों की सीमाएं खत्म होंगी और किसान देशभर के खरीदारों से सीधे जुड़ पाएंगे. यह डिजिटल क्रांति किसानों की आमदनी बढ़ाने का बड़ा माध्यम बनेगी.
बिहार बनेगा कृषि उद्योग का हब
इस पूरी पहल का अंतिम लक्ष्य है बिहार को खाद्य प्रसंस्करण और कृषि आधारित उद्योगों का हब बनाना. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन, प्रोसेसिंग और निर्यात बढ़ेगा. इससे न केवल किसानों की आमदनी में इजाफा होगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और राज्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाएगा.