उत्तराखंड ने पेश कीं दो नई किस्में, उड़द किसानों की 22 फीसदी बढ़ेगी पैदावार

उत्तराखंड के पंतनगर जिले में जीबी पंत कृषि एवं प्रैद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उड़द की दो नई किस्मों को विकसित किया है. इनका नाम है 'पंत उड़द-13' और 'पंत उड़द-14'.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 14 May, 2025 | 06:49 PM

दलहनी फसलों की खेती कर किसान अच्छी पैदावार के साथ अच्छी कमाई भी करते हैं. बाजार में इनकी मांग भी सालभर बनी रहती है. दलहनी फसलों में एक मुख्य फसल उड़द की भी है. उड़द की खेती के लिए जरूरी है कि किसान उड़द की सही किस्मों का चुनाव करें. इसी कड़ी में अब उत्तराखंड के पंतनगर जिले में जीबी पंत कृषि एवं प्रैद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उड़द की दो नई किस्मों को विकसित किया है. इनका नाम है ‘पंत उड़द-13’ और ‘पंत उड़द-14’.इसकी जानकारी उत्तराखंड के कृषि विभाग ने सोशल मीडियम के माध्यम से दी.

22 प्रतिशत ज्यादा उपज देगी ये किस्में

पंतनगर जिले में जीबी पंत कृषि एवं प्रैद्योगिकी विश्वविद्यालय के जिन वैज्ञानिकों ने इन किस्मों को विकसित किया है , उनका कहना है कि ये किस्में उड़द की अन्य किस्मों के मुकाबले 22 फीसदी ज्यादा उपज देने की क्षमता रखती हैं. इसके साथ ही उड़द की ये दो नई किस्में कई तरह के अलग-अलग रोग और कीट प्रतिरोधी भी हैं. जो कि खेती के लिहाज से इन दोनों किस्मों को और बेहतर बनाती है.

पंत उड़द -13 (पीयू 1920) की खासियत

उत्तराखंड के उत्तरी पर्वतीय इलाकों में लगातार तीन सालों तक उड़द की इस किस्म का परीक्षण किया गया. बता दें कि तीन साल के परीक्षण के बाद नतीजों में ये निकल कर आया कि उड़द की इस किस्म ने 22 फीसदी तक ज्यादा पैदावार दी. बता दें कि पंत उड़द-13 के सौ दानों का वजन 4.6 ग्राम है. ये किस्म पीले मोजेक, चूर्णिल फफूंद, सफेद मक्खी, फली छेदक कीट , थ्रिप्स और मारूका जैसे कीटों की प्रतिरोधी है.

पंत उड़द- 14 (पीयू 1921) की खासियत

उत्तराखंड सरकार द्वारा दी गई जानकरी के अनुसार पंत उड़द-14 की उपज को लेकर किए गए परीक्षण के तीन साल के दौरान पहले साल 10.96 फीसदी ज्यादा उपज, दूसरे साल 6.09 फीसदी उपज और तीसरे साल 16.39 फीसदी उपज रही. उड़द पंत -14 बुवाई के करीब 80 से 85 दिन बाद तैयार हो जाती है. बता दें कि उड़द की ये दोनों नई किस्में मिलाकर औसतन 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज दे सकती हैं. फिलहाल इन किस्मों को उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी बंगाल के पहाड़ी इलाकों समेत अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाए जाने के लिए जारि किया गया है.

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Published: 14 May, 2025 | 06:49 PM

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