गाय-भैंस में कब कराना चाहिए गर्भाधान? जान लें हीट के लक्षण, चक्र और सही समय

गाय और भैंस में गर्भाधान का सही समय पहचानने के लिए मद चक्र के लक्षणों को समझना जरूरी है. क्योंकि यही समय पशु को गर्भधारण के लिए तैयार करता है. सही समय पर गर्भाधान से दूध उत्पादन और प्रजनन में सुधार होता है.

नोएडा | Updated On: 14 May, 2025 | 04:50 PM

अगर आप दूध देने वाले पशु पालते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. गाय या भैंस में गर्भाधान (insemination) का सही समय तय करना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है मादा पशु के मद चक्र (Heat Cycle) को सही तरीके से पहचानना. क्योंकि, जब मादा पशु गर्मी में आती है, तभी वह गर्भ धारण करने के लिए तैयार होती है. इस चक्र की जानकारी न होने के कारण हजारों किसान हर साल नुकसान झेलते हैं.

हिमाचल प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक गाय और भैंस में सामान्यतः 18 से 21 दिन के अंतराल पर मद चक्र आता है. अगर पशु स्वस्थ है और वजन लगभग 250 किलो के आसपास पहुंच गया है तो उसमें यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है. इसके अलावा बच्चा देने के बाद लगभग 45 दिन में पशु फिर से गर्मी में आ सकता है.

मद चक्र की 3 अवस्थाएं होती हैं

प्रारंभिक अवस्था (Early Stage)

पशु के मद चक्र के दौरान कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं. जैसे कि भूख कम होना, दूध का उत्पादन घटना, रंभाना (बोलना) और बेचैन होना. प्रजनन अंग से रिसाव होना, दूसरे पशुओं से अलग रहना, पूंछ उठाना, बार-बार पेशाब करना भी इसके संकेत होते हैं. कुछ पशुओं के शरीर के तापमान में भी थोड़ी बढ़त हो सकती है.

मध्य अवस्था (Standing Heat)

यह सबसे महत्वपूर्ण समय होता है गर्भाधान के लिए. इसकी अवधि लगभग 10 घंटे तक रहती है. इस दौरान पशु काफी उत्तेजित दिखाई देता है और वह अन्य पशुओं में रुचि दिखाता है. इसे कई लक्षणों से पहचाना जा सकता है.

  • प्रजनन अंग से रिसाव का गाढ़ा होना.
  • पशु जोर-जोर से रंभाना (बोलने) लगता है.
  • शरीर का तापमान बढ़ जाता है.
  • दूध में कमी और पीठ पर टेढ़ापन दिखाई देता है.
  • पशु दूसरे पशु को चढ़ने देता है या खुद दूसरे पशुओं पर चढ़ने लगता है.

अंतिम अवस्था (Late Stage)

मद की अंतिम अवस्था में पशु की भूख सामान्य हो जाती है और दूध उत्पादन में कमी समाप्त हो जाती है. रंभाना कम हो जाता है. अन्य लक्षणों में भी कमी आ जाती है.

गर्भाधान का सही समय

विशेषज्ञों के अनुसार मद की शुरुआत के 12 से 18 घंटे बाद यानी मध्य अवस्था में कृत्रिम गर्भाधान करना सबसे उपयुक्त रहता है. एक आसान तरीका यह है कि अगर पशु सुबह गर्मी में दिखे तो दोपहर को गर्भाधान करें. वहीं, अगर पशु शाम को गर्मी में दिखे तो अगले दिन सुबह टीका लगवाएं. जब पशु बिना विरोध के दूसरे पशु को अपने ऊपर चढ़ने देता है तो यही ‘Standing Heat’ कहलाता है और यही सबसे उपयुक्त समय होता है गर्भाधान का.

हालांकि कुछ पशु गर्मी में आते हैं लेकिन रंभाते नहीं हैं. ऐसे में ऊपर बताए गए लक्षणों से मद की पहचान की जा सकती है. समय पर गर्भाधान से दूध उत्पादन बढ़ता है, ब्यांत में नियमितता आती है और पशुपालक की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है.

Published: 14 May, 2025 | 04:50 PM