देश में इन दिनों मॉनसून अपने चरम पर है, ये समय कपास की फसल के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होता है. अगस्त से सितंबर के बीच कपास की फसल पर फूल और छोटे गांठों का बनना शुरू हो जाता है. इस स्थिति में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे फसल की अच्छे से देखभाल करें. क्योंकि यही वह समय है जह कपास पर गुलाबी सुंडी का खतरा बढ़ जाता है. ये कीट कपास की फसल में सबसे ज्यादा नुकसान फूल और फल बनने की अवस्था में ही पहुंचाते हैं.
महंगे कीटनाशकों का स्प्रे करने के बावजूद इस कीट पर काबू पाना मुश्किल होता है क्योंकि ये कीट कॉटन बॉल के अंदर घुस जाता है. ऐसे में न केवल फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. किसानों के लिए जरूरी है कि वे इसकी रोकथाम के लिए जरूरी जानकारी जुटा लें ताकि फसल को चौपट होने से बचाया जा सके.
क्या है गुलाबी सुंडी
गुलाबी सुंडी कपास की फसल में लगने वाला एक खतरनाक कीट है और ये कीट मुख्य रूप से रात के समय और ज्यादा नमी होने के कारण एक्टिव होते हैं. प्रौढ़ अवस्था में गुलाबी सुंडी गहरे भूरे रंग में होते हैं. बाद में इनका रंग गुलाबी हो जाता है. इस कीट की एक खास पहचान है कि अगर एक बार इसका आक्रमण हो जाए तो ये फसल के अंतिम दिनों तक फसल में बना रहता है. शुरुआती अवस्था में ही ये सुंडियां छोटे बॉल में घुस कर बीजों को खाती हैं.इसके बाद खुद बनाए गए बॉल के सुराख को अपनी बीड से ही बंद कर देती हैं. सुराख बंद हो जाने के कारण ही इनपर कीटनाशकों का कोई असर नहीं होता है.
इन लक्षणों से करें पहचान
गुलाबी सुंडी के कुछ लक्षण होते हैं जिनकी पहचान कर किसान समय रहते फसल को इसके प्रकोप से बचा सकते हैं. गुलाबी सुंडी का आक्रमण होने पर फसल में लगें कॉटन बॉल्स में छोटे-छोटे छेद नजर आने लगते हैं. इस कीट से संक्रमित बॉल समय से पहले सूखकर गिर जाते हैं.साथ ही इसके संक्रमण से अंदर के बीज काले पड़ जाते हैं और रेशे खराब हो जाते हैं. बता दें कि, इसकी एक पहचान ये भी है कि इसके संक्रमण पर कॉटन बॉल्स पर गुलाबी रंग के छोटे-छोटे लार्वा देखे जा सकते हैं.
कीटनाशकों का छिड़काव है जरूरी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसे ही किसानों को कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का पता चले, वे तुरंत फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करें. बार-बार छिड़काव करने पर किसान कपास के फसलों को बचा सकते हैं. किसान इसके अलावा प्रोपेक्स सुपर+ अमृत गोल्ड नीम का मिश्रण करके कपास के पौधों पर छिड़काव करें, खासकर जब कपास का पौधा फूल और पत्ती अवस्था में हो. बात करें जैविक तरीकों की , तो जैविक कीटनाशक के तौर पर किसान नीम का तेल और डिटर्जेंट पाउडर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं.