आपदा से 1.2 लाख फलदार पौधे तबाह.. किसानों को 40 करोड़ का नुकसान, मुआवजे के लिए नियम बदलेगी सरकार

बागवानी विभाग ने 40 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का आंकलन किया है, जबकि सर्वे प्रक्रिया अभी जारी है. वहीं, राज्य सरकार किसानों को मुआवजा देने के लिए नियमों में संशोधन करने की तैयारी कर रही है.

नोएडा | Updated On: 22 Aug, 2025 | 07:36 PM

पहाड़ी इलाकों में बारिश और बाढ़ के बाद भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से खेती को भारी नुकसान पहुंचा है. खासकर हिमाचल प्रदेश के किसानों को गहरी चोट पहुंची है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अकेले मंडी जिले प्राकृतिक आपदा ने 1.2 लाख फलदार पौधे तबाह कर दिए हैं. इससे बागवानी करने वाले किसानों को 40 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. राज्य के कृषि मंत्री ने मुआवजे को लेकर कहा है कि 30 से 50 फीसदी नुकसान की भरपाई राज्य सरकार की ओर से की जाएगी. मुआवजे का मुद्दा विधानसभा में भी छाया रहा है.

हिमाचल प्रदेश में प्रकृति के कहर से बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है. अकेले मंडी जिले में प्राकृतिक कईयों के आशियाने बहा ले गई वहीं, इस आपदा में बागवानी करने वाले किसानों को भारी चोट पहुंची है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 1 लाख 20 हजार से अधिक फलदार पौधे पूरी तरह से तहस-नहस हो गए हैं. जबकि, 404 हेक्टेयर में खड़े बागानों को भारी नुकसान पहुंचा है.

मंडी में बागवानी किसानों को 40 करोड़ का झटका

हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार मंडी जिला बागवानी विभाग ने आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि जिले भर में 40 करोड़ से अधिक के नुकसान का आंकलन किया है, जबकि नुकसान के आकलन के लिए सर्वे प्रक्रिया अभी जारी है. बागवानी विभाग जिला मंडी के उप निदेशक डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार मंडी जिले में अकेले सेब की फसल का ही 32 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.

सेब की 75 फीसदी फसल चौपट, बाकी फसलों का हाल बुरा

विभाग के अनुसार इस आपदा से बागवानों की सेब की 75 फीसदी फसल तबाह हो गई है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान अकेले सराज इलाके में ही आंका गया है. इसके अलावा 6 करोड़ के पॉलीहाऊस को नुकसान हुआ है, जिसमें 5.3 हेक्टेयर भूमि भी आपदा में बह गई है.

विभाग के अनुसार अन्य फसलों की बात करें तो गुठलीदार फलों से 1 करोड़ 63 लाख का नुकसान हुआ है. 3.2 हेक्टेयर भूमि में खड़ी नाशपाती को नुकसान होने से 1 लाख 75 हजार की चपत किसानों को लगी है. इसी तरह बादाम के बागानों, आम, अनार, अमरूद, खजूर को नुकसान हुआ है. यह नुकसान का आकलन बीते दो माह के दौरान आई आपदा के दौरान का है. विभाग के अनुसार जिले में 500 मीट्रिक टन उत्पादन प्रभावित हुआ है. जबकि, पूरे राज्य में फल उत्पादन को गहरी चोट पहुंची है.

धान और मक्का फसल को भारी नुकसान

वहीं, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में अधिकांश स्थानों पर धान और मक्का की फसल खराब हो गई है. फसल पर खतरनाक कीट ने हमला किया है जिससे यह फसल पीली पड़ गई है. सरकार इस मामले में कृषि वैज्ञानियों से जांच करवा रही है मगर किसानों को फसल का मुआवजा दिया जाए या फिर इसे आपदा घोषित करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में बहस छिड़ी हुई है.

रिलीफ मैनुअल नियमों में संशोधन कर रही सरकार

राज्य के कृषि मंत्री चन्द्र कुमार ने कहा कि जो फसलें 30 फीसदी से ज्यादा खराब हो गई हैं सरकार उन फसलों को रिलीफ मैनुअल में शामिल करने के लिए नियमों में संशोधन कर रही है. यह बात कृषि मंत्री चौधरी चन्द्र कुमार ने विधानसभा में उठे मुद्दे के बाद जवाब में कही. कृषि मंत्री ने कहा कि केवल कांगड़ा जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश के गर्म इलाके इस आपदा से त्रस्त हैं. गर्म इलाकों में यह खतरनाक कीट फसलों में लगता है. उन्होंने कहा कि फसल का मुआवजा देने के लिए रिलीफ मैनुअल में प्रावधान करना होगा जोकि अभी तक नहीं है.

Published: 22 Aug, 2025 | 07:32 PM

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