झारखंड के खूंटी जिले के किसान ने आधुनिक तरीके से गेंदा की खेती करके मात्र ढाई महीने 5 लाख रुपये की कमाई की है. जबकि, गेंदा फूल की खेती में उसे केवल अधिकतम 50 हजार रुपये की लागत आई है. किसान ने बताया कि उसे सीधे-सीधे 4.50 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है. किसान ने कहा कि उसने समय पर और सटीक तरीके से गेंदा फूल की बुवाई-कटाई करके फसल को बाजार पहुंचाया. यह कहानी केवल एक किसान की नहीं है. खूंटी जिले के कई दर्जन किसान अब ‘सोना’ बन चुके गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं और जमकर मुनाफा हासिल कर रहे हैं. जबकि, इससे पहले खूंटी के किसान अफीम की अवैध तरीके से खेती करते थे. स्थानीय कृषि अधिकारियों की पहल के बाद किसान गेंदा के अन्य फसलों की खेती तरफ मुड़े हैं.
गेंदा की खेती में 50 हजार खर्च कर 5 लाख कमाए
झारखंड के खूंटी जिले में किसानों ने इस बार मिट्टी से सोना नहीं, बल्कि गेंदा फूल की खेती से कमाल कर दिखाया है. धनतेरस के मौके पर जहां सोने की चमक बाजारों में छाई रही, वहीं खूंटी के खेतों में खिला गेंदा फूल किसानों के लिए ‘स्वर्णिम फसल’ साबित हुआ है. प्रसार भारती की रिपोर्ट के अनुसार खूंटी के प्रगतिशील किसान पवन संवासी ने महज 40 से 50 हजार रुपये की लागत से ढाई महीने में 5 लाख रुपये की कमाई की है.
4 एकड़ में आधुनिक तकनीक से गेंदा फूल की खेती
किसान पवन संवासी ने बताया कि उन्होंने केवल चार एकड़ भूमि पर आधुनिक तरीके से खेती की. किसान ने बताया कि उन्होंने पौधों के अच्छे विकास के लिए फसल में मल्चिंग तकनीक का उपयोग किया है. जबकि, सही तरीके से पौधों को लगातार और समय पर पानी मिलता रहे, इसके लिए उन्होंने ड्रिप सिंचाई तकनीक को अपनाया. किसान ने कहा कि खेती के लिए आधुनिक तरीके अपनाकर उनकी लागत कम आई है, जबकि पौधों की ग्रोथ और हर डाली में बड़ा फूल निकला है.
गेंदा के साथ सब्जियां उगाकर कमाई बढ़ाई
किसान पवन ने कहा कि वह अपने खेत में केवल गेंदा फूल की खेती नहीं करते हैं. बल्कि, उन्होंने सहफसली खेती का सहारा लिया और फूलों के साथ सब्जियों की खेती भी की. इससे एक ओर दशहरा, दीपावली और छठ जैसे त्योहारी सीजन में गेंदा की बढ़ती मांग से उन्हें उम्मीद से ज्यादा मुनाफा मिला है तो दूसरी ओर उन्होंने सब्जियों की बिक्री करके अपनी लागत निकाल ली.

गेंदा फूल की खेती और किसान पवन.
अफीम की खेती छोड़ ‘पीला सोना’ गेंदा की खेती शुरू
यह सफलता खूंटी जिले के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गई है. जहां कभी अवैध अफीम की खेती एक बड़ी चुनौती थी, वहीं अब किसान फूलों और सब्जियों की ओर रुख कर रहे हैं. गेंदा फूल की यह ‘सुनहरी कहानी’ न केवल झारखंड के किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि आधुनिक खेती ही आत्मनिर्भरता और समृद्धि का रास्ता है.