सूखे मेवों की बात करें तो बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट जैसे नाम सबसे पहले जहन में आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सब मेवों से भी महंगा एक और सूखा मेवा है, जिसका नाम है चिलगोजा (Pine Nuts)? भारत में इसकी कीमत ₹8,000 प्रति किलो या इससे भी अधिक हो सकती है. इतने महंगे दाम सुनकर शायद आपको लगे कि ये सिर्फ अमीरों के खाने की चीज है. लेकिन असल वजह इसकी कीमत नहीं, बल्कि इसे आप तक पहुंचाने वाली मेहनत की है.
कहां और कैसे उगता है चिलगोजा?
चिलगोजा कोई आम पेड़ पर नहीं उगता. यह उगता है हिमालय की ऊंचाइयों पर पाए जाने वाले जंगली पाइन्स (Pine Trees) पर. खासकर भारत में यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जैसे ठंडे और ऊंचे इलाकों में पाया जाता है. यह पेड़ अपने आप उगता है, यानी इसका कोई खेत या बाग नहीं होता है.
पेड़ पर चढ़कर तोड़ते हैं चिलगोजा
चिलगोजा को तोड़ने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है. इसके बीज सीधे पेड़ पर लगे शंकु (cones) के अंदर होते हैं. इन पेड़ों की ऊंचाई बहुत ज्यादा होती है, और अक्सर तो ये 50 फीट से भी ऊंचे होते हैं. कटाई करने वाले लोग रस्सियों की मदद से इन पेड़ों पर चढ़ते हैं और फिर उन शंकुओं को तोड़ते हैं. कई बार यह प्रक्रिया जोखिम भरी होती है, जिसमें जान का खतरा भी हो सकता है. इसके बाद इन शंकुओं को तोड़कर चिलगोजा बीज को अलग किया जाता है. यह पूरा काम हाथों से होता है और काफी समय और मेहनत मांगता है.
25 साल में तैयार होता है एक पेड़
चिलगोजा पेड़ कोई साल-दो साल में फल नहीं देता. एक अच्छा, फल देने वाला पेड़ बनने में लगभग 25 साल लगते हैं. यानी एक पीढ़ी पेड़ लगाए और अगली पीढ़ी जाकर उसका फल खाए, इतनी लंबी प्रक्रिया होती है इस मेवे के पेड़ को बड़े होने में. यही कारण है कि इसकी खेती बड़े पैमाने पर नहीं हो पाती, और न ही इसकी सप्लाई हर साल ज्यादा हो पाती है.
चिलगोजा खाने के फायदे
चिलगोजा न सिर्फ महंगा है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ई, आयरन, और जिंक जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये दिल को स्वस्थ रखने, मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने और त्वचा को निखारने में मदद करता है. यही वजह है कि इसे सुपरफूड भी कहा जाता है, और दुनिया भर के हेल्थ कॉन्शस लोग इसे अपने डाइट में शामिल करना चाहते हैं.