देशभर में तीन बड़ी वजहों से गहराया यूरिया संकट, किसानों की चिंता बढ़ी

किसान सुबह 3 बजे ही कोऑपरेटिव सोसाइटी पहुंच जाते हैं ताकि यूरिया का एक बैग भी मिल सके. लेकिन कई बार पूरी रात इंतजार करने के बाद भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 25 Sep, 2025 | 11:22 AM

Urea Shortage: भारत में इस समय किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता फसल नहीं, बल्कि उसकी खाद बन गई है. कई राज्यों में यूरिया की भारी कमी देखने को मिल रही है. खेत तैयार हैं, बारिश भी अच्छी हुई है, लेकिन खाद की कमी से किसान परेशान हैं. कहीं लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं, तो कहीं सड़क पर धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं. सरकार के दावों और आंकड़ों के बावजूद यूरिया का संकट गहराता जा रहा है. आखिर क्यों हो रही है इतनी बड़ी कमी?

घंटों कतार में भी नहीं मिल रहा यूरिया

तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पंजाब जैसे कई राज्यों में यूरिया की सप्लाई कम होने से किसान परेशान हैं. तेलंगाना के नलगोंडा जिले में किसान सुबह 3 बजे ही कोऑपरेटिव सोसाइटी पहुंच जाते हैं ताकि यूरिया का एक बैग भी मिल सके. लेकिन कई बार पूरी रात इंतजार करने के बाद भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है. महाराष्ट्र में भी किसान शिकायत कर रहे हैं कि यूरिया की बिक्री में गड़बड़ियां हो रही हैं.

कमी की तीन बड़ी वजहें

विशेषज्ञों और उद्योग जगत के मुताबिक यूरिया की कमी की तीन मुख्य वजहें हैं:

खपत में अचानक बढ़ोतरी इस बार मानसून अच्छा रहा, जिससे किसानों ने अधिक बोआई की. नतीजतन यूरिया की मांग पिछले सालों की तुलना में काफी बढ़ गई.

भू-राजनीतिक हालात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उर्वरक की कीमतें बढ़ गई हैं. कई देशों से आयात में देरी हो रही है, जिससे सप्लाई प्रभावित हुई.

चीन का निर्यात पर प्रतिबंध चीन, जो यूरिया का बड़ा निर्यातक है, ने अपने देश की जरूरतों को देखते हुए यूरिया के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसका सीधा असर भारत पर पड़ा है.

केंद्र सरकार की स्थिति

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर महीने के लिए यूरिया की मांग 39.67 लाख टन आंकी गई है, जो पिछले साल से करीब 3 लाख टन ज्यादा है. केंद्र ने संसद में बताया कि जुलाई 2025 तक 158 लाख टन यूरिया आवंटित किया गया था, जबकि मांग 115 लाख टन थी. लेकिन राज्य सरकारों का कहना है कि आवंटन के बावजूद सप्लाई में कमी आ रही है.

राज्यों से आईं अलग-अलग रिपोर्ट

तेलंगाना: राज्य कृषि मंत्री ने कहा कि यहां यूरिया की कमी करीब 2 लाख टन है.

महाराष्ट्र: किसानों का कहना है कि कपास और मक्का जैसी फसलों के लिए टॉप ड्रेसिंग डोज की मांग लगातार बढ़ रही है.

कर्नाटक: खरीफ सीजन में 2.5 लाख टन यूरिया की कमी दर्ज की गई.

पश्चिम बंगाल: यहां अभी तक यूरिया की कोई कमी नहीं बताई गई, लेकिन आलू की खेती में इस्तेमाल होने वाली दूसरी खाद की कमी जरूर है.

नैनो यूरिया से नहीं बन रही बात

केंद्र सरकार ने नैनो यूरिया को विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया है, लेकिन किसानों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह ग्रैन्यूलर यूरिया की पूरी तरह जगह नहीं ले सकता. खासकर चाय जैसी फसलों में नैनो यूरिया जड़ों तक पोषण नहीं पहुंचा पाता.

फसलों पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि रबी सीजन में गेहूं, सरसों और चने जैसी फसलों की जरूरत अलग होती है, इसलिए कुछ हद तक हालात संभाले जा सकते हैं. लेकिन अगर समय पर सप्लाई नहीं सुधरी तो खरीफ की फसलों पर असर पड़ सकता है. साथ ही लगातार ज्यादा यूरिया का उपयोग मिट्टी की सेहत और पानी की गुणवत्ता के लिए भी खतरा है.

Published: 25 Sep, 2025 | 11:16 AM

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