200 रुपये लगाएं, 1 लाख कमाएं.. जानिए कैसे ‘महोगनी’ का पेड़ बना रहा किसानों को मालामाल

किसान अब 200 रुपये में महोगनी का पौधा मंगवाकर खेतों में लगा रहे हैं. किसानों का मानना है कि ये किसी फिक्स्ड डिपॉजिट से भी ज्यादा मुनाफा देगा.

नई दिल्ली | Published: 23 Jul, 2025 | 09:57 AM

आज के समय में जब पारंपरिक खेती में मुनाफा घटता जा रहा है और खर्चा बढ़ रहा है, ऐसे में भारत के किसान अब नए विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है महोगनी पेड़ की खेती, जो कम लागत, कम देखरेख और लंबे समय में शानदार मुनाफे के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है. केवल 200 रुपये में एक महोगनी का पौधा लगाने से किसान भविष्य में 1 लाख रुपये तक कमा सकते हैं. इसे अब “हरा सोना” भी कहा जा रहा है. तो चलिए जानते हैं इस खेती के बारे में.

क्यों है महोगनी इतनी खास?

महोगनी एक दुर्लभ और कीमती लकड़ी है, जो अपनी मजबूती, सुंदर रंग और दीमक-रोधी गुणों के लिए जानी जाती है. इसकी लकड़ी का उपयोग फर्नीचर, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट, जहाज और लग्जरी इंटीरियर्स बनाने में होता है. एक घन फुट लकड़ी की कीमत 1,500 से 2,500 रुपये तक होती है. भारत में इसकी उपलब्धता कम है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मांग लगातार बढ़ रही है.

मिलेगा ज्यादा फायदा

किसान अब 200 रुपये में महोगनी का पौधा मंगवाकर खेतों में लगा रहे हैं. किसानों का मानना है कि ये किसी फिक्स्ड डिपॉजिट से भी ज्यादा मुनाफा देगा. उनके अनुसार, जब यह पेड़ 10 से 12 साल में परिपक्व होगा, तब उसकी लकड़ी से उन्हें 1 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है.

औषधीय और औद्योगिक उपयोग

महोगनी सिर्फ लकड़ी के लिए ही नहीं, बल्कि इसके बीज, पत्ते और छाल का उपयोग मलेरिया, शुगर, डायरिया और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों के आयुर्वेदिक इलाज में भी होता है. इसके पत्तों से मच्छर-रोधी उत्पाद, हर्बल टॉनिक, साबुन, प्राकृतिक कीटनाशक और पेंट तक बनाए जाते हैं.

क्यों है यह खेती आसान?

महोगनी के पेड़ को ज्यादा पानी, खाद या कीटनाशक की जरूरत नहीं होती. यह रोगों के प्रति स्वाभाविक रूप से प्रतिरोधक होता है और हर मौसम में बढ़ सकता है. इसे एक बार लगाने के बाद यह 12 साल में 50–60 फीट ऊंचा पेड़ बन जाता है, जो अच्छी कमाई देता है.

कैसे किसानों को होहा फायदा?

बढ़ती महंगाई, महंगा बीज-खाद और बदलता मौसम किसानों की कमर तोड़ रहे हैं. ऐसे में महोगनी जैसी खेती, जो कम लागत में लंबे समय का फायदा देती है, किसानों के लिए वरदान बन रही है. यह खेती अब सिर्फ अमीर लोगों या बड़ी जमीन वालों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कोई भी छोटा किसान इसे आजमा सकता है.