कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि इस अभियान के जरिए किसानों से सीधे संवाद करने पर कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि अब सिर्फ दिल्ली में बैठकर किसानों के लिए रणनीतियां नहीं बनाई जा सकतीं, बल्कि जमीन पर उतरकर उनकी समस्याओं और जरूरतों को समझना जरूरी है. करीब 1.34 करोड़ किसानों से मिले अनुभवों के आधार पर तीन बड़े सबक सीखने को मिले हैं, जिनके आधार पर अब नई योजना तैयार की जाएगी. चलिए जानते हैं इस रिपोर्ट में क्या-क्या बड़े फैसले लिए गए.
किसानों से सीखे तीन महत्वपूर्ण सबक
जमीनी स्तर पर संवाद जरूरी
कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसानों की समस्याओं को समझे बिना कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती. दिल्ली में बैठकर सिर्फ कागजों में योजनाएं बनाना अब काम नहीं करेगा. किसानों से मिलकर उनकी जरूरतों को समझना और उसी के हिसाब से काम करना होगा.
किसान भी हैं वैज्ञानिक और नवप्रवर्तनकारी
कई किसान खुद अपने इलाके और परिस्थितियों के अनुसार नई तकनीकें और इनोवेशन करते हैं. इन्हें पहचान कर वैज्ञानिकों को इन नवाचारों को आगे बढ़ाना होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को फायदा मिल सके.
किसानों की चुनौतियों को समझना जरूरी
किसानों ने कई समस्याएं बताईं, जैसे बदलती जलवायु के कारण फसल चक्र में बदलाव की जरूरत, नई किस्मों की मांग, प्राकृतिक खेती के लिए बेहतर इनपुट्स, और जंगली जानवरों के प्रबंधन के लिए तकनीकी समाधान. इन सभी मुद्दों पर काम करना आवश्यक है.
कृषि मंत्री के 10 बड़े फैसले
- कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) को अधिक सक्रिय बनाया जाएगा, वैज्ञानिक सप्ताह में तीन दिन खेतों में जाकर किसानों से संवाद करेंगे.
- हर जिले में एक नोडल एजेंसी का गठन होगा जो किसानों की समस्याओं का समाधान करेगी.
- कृषि मंत्री खुद भी सप्ताह में दो दिन खेतों में जाकर किसानों से मिलेंगे.
- अफसरों को भी खेतों में जाकर किसानों से संवाद करने का निर्देश दिया गया है.
- राज्यों के साथ मिलकर कृषि विकास के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा.
- अनुसंधान को किसानों की मांग के अनुसार केंद्रित किया जाएगा.
- किसानों के नवाचारों को बढ़ावा दिया जाएगा.
- प्राकृतिक खेती, फसल की नई किस्मों और तकनीकी सहायता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
- कृषि विभागों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा.
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के अनुकूल कृषि तकनीकों को अपनाया जाएगा.
किसानों की समस्याएं और सुझाव
- बदलती जलवायु के अनुसार फसल चक्र में बदलाव जरूरी है.
- गन्ने की एक किस्म में लाल सड़न रोग की समस्या से निपटने के लिए वैकल्पिक किस्म विकसित हो.
- धान की डायरेक्ट सीडिंग के लिए ऐसी किस्म तैयार हो जिसमें खरपतवार न हो.
- पेस्टीसाइड और उर्वरकों की जांच के लिए मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जाए.
- प्राकृतिक खेती के लिए इनपुट्स की सही मात्रा और खरपतवार नियंत्रण पर शोध हो.
- सोयाबीन और कपास की नई किस्में तैयार हों जो वायरस से सुरक्षित हों.
- जंगली जानवरों के प्रबंधन के लिए एआई आधारित तकनीक विकसित की जाए.
- ड्रोन के माध्यम से खराब जमीन में चारागाह विकसित करने पर शोध हो.