बारिश की रफ्तार पर लगी ब्रेक, अब जानिए समय से पहले मानसून का क्या होगा असर

IMD का कहना है कि इस सप्ताह से मानसून सामान्य मार्ग पर लौटने की संभावना है क्योंकि बंगाल की खाड़ी और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव के क्षेत्र बन रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 12 Jun, 2025 | 10:01 AM

इस साल मानसून के जल्दी पहुंचने के बाद अब उसकी रफ्तार कम हो गई है. केरल और दक्षिण-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में रिकॉर्ड समय में मानसून पहुंचा था, लेकिन अब यह ठहराव की स्थिति में है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ और इससे देश के विभिन्न हिस्सों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

इस साल मानसून की क्या स्थिति है?

मौसम विभाग के अनुसार, इस साल मानसून मई के अंत में केरल और भारत के दक्षिणी हिस्सों में पहुंच गया था, जो 2009 के बाद सबसे जल्दी था. मुंबई में भी मानसून लगभग इसी समय पहुंचा, जो पिछले 35 सालों में सबसे जल्दी था. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पूरे देश के लिए सामान्य मानसून का पूर्वानुमान लगाया है.

मानसून की रफ्तार क्यों रुकी?

IMD के अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी भारत के मुंबई और पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल के आसपास कमजोर मौसम की स्थिति के कारण मानसून की रफ्तार में कमी आई है. बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बने कम दबाव के क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाओं को उत्तर की ओर खींचते हैं, जिससे पूरे भारत में बारिश होती है. पिछले महीने ये सिस्टम सामान्य से अधिक मजबूत थे, जिसके कारण बारिश जल्दी शुरू हुई. लेकिन अब ये कमजोर हो गए हैं, जिससे उत्तर भारत और दक्कन पठार के अंदरूनी हिस्से सूखे हैं. इससे उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत में लू की स्थिति बनी हुई है; दिल्ली में इस साल का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया जबकि मुंबई में बारिश की तीव्रता कम हो गई है.

जल्द बारिश का सामान्य प्रभाव क्या रहा?

मौसम विभाग के अनुसार, मानसून के पहले भारी बारिश ने पश्चिम, दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख शहरों में बाढ़ और भूस्खलन जैसी समस्याएं पैदा की हैं. मार्च में ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में रिकॉर्ड ऊंचे तापमान और लू से राहत मिली. हालांकि, जल्दी बारिश से पेनिनसुलर भारत में आम, केला और प्याज जैसी फसलों की बढ़वार और कटाई प्रभावित हुई है.

आगे बारिश कैसी रहेगी?

IMD का कहना है कि इस सप्ताह से मानसून सामान्य मार्ग पर लौटने की संभावना है क्योंकि बंगाल की खाड़ी और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव के क्षेत्र बन रहे हैं. बारिश में देरी के बावजूद, मानसून अभी भी देर से नहीं आया है और 15 से 30 जून के बीच मध्य और उत्तर भारत में बारिश होगी. हालांकि, लू की स्थिति भी बनी रहेगी.

खपत पर मानसून का क्या प्रभाव होगा?

भारत में मांग में कमी देखी जा रही है, खासकर शहरी इलाकों में जहां कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन आय स्थिर है, जिससे लोग गैर-जरूरी खर्चों में कटौती कर रहे हैं. ग्रामीण मांग बेहतर बनी हुई है, जो उपभोक्ता और ऑटो कंपनियों के लिए उम्मीद की किरण है. लेकिन यदि बारिश सामान्य नहीं हुई तो किसानों की आय प्रभावित होगी, जिससे मांग की स्थिति और खराब हो सकती है.

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