अधिकांश लोग मानते हैं कि सिंदूर एक केमिकल रंग है लेकिन यह नेचुरल रूप से एक खास फल 'अन्नाटा' या 'लिपस्टिक फल' (Annatto/Bixa Orellana) के बीज से तैयार किया जाता है. इसके बीजों की बाहरी परत में गहरा लाल रंग मौजूद होता है, जिससे सिंदूर तैयार किया जाता है. यह फल मुख्य रूप से झाड़ीदार पेड़ में उगता है.
सरकार भी भारत में इस फल की खेती को बढ़ावा गे रही है. इसका उद्देश्य सिंदूर की देश में जैविक खेती को प्रोत्साहित करना है ताकि महिलाएं शुद्ध और सुरक्षित सिंदूर का इस्तेमाल कर सकें, जो केमिकल-मुक्त हो.
भारत में अन्नाटा या सिंदूर पेड़ की खेती झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम और मिजोरम जैसे राज्यों में की जाती है. इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी इस पेड़ की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
सिंदूर के फल को तोड़कर उसके बीज अलग किए जाते हैं. फिर इन बीजों को धूप में सुखाया जाता है और महीन पीसकर लाल रंग का पाउडर तैयार किया जाता है. इस पाउडर में हल्दी और नीम जैसे हर्बल तत्व मिलाकर शुद्ध सिंदूर तैयार किया जाता है.
अन्नाटा फल के बीजों से बना सिंदूर एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में इसका उपयोग त्वचा रोग, आंखों की जलन और घावों पर मरहम के रूप में भी किया जाता रहा है.
जब सिंदूर को त्वचा या बालों पर लगाया जाता है, तो यह हल्का लाल या नारंगी दिखाई देता है. इसका कारण है इसमें मौजूद बिक्सिन और नॉरबिक्सिन जैसे प्राकृतिक रंगद्रव्य, जो नमी और तापमान के अनुसार अपना रंग थोड़ा बदल सकते हैं.