मॉनसून की धीमी रफ्तार से किसान परेशान, नहीं कर पा रहे फसलों की बुवाई.. कब होगी बरसात

1 जून से 16 जून के बीच कई बड़े राज्यों में बारिश काफी कम हुई है. मध्य प्रदेश में 29 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 46 फीसदी, गुजरात में 32 फीसदी और आंध्र प्रदेश में 25 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 18 Jun, 2025 | 03:52 PM

मॉनसून की धीमी रफ्तार ने देश के कई इलाकों में खरीफ बुवाई पर असर डाला है. किसान बारिश के लौटने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि 1 से 16 जून के बीच आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार करीब 25 फीसदी कम बारिश हुई है. इस बार मॉनसून ने 24 मई को पिछले एक दशक में सबसे जल्दी दस्तक दी थी, लेकिन इसके बाद से दो हफ्तों से बारिश सुस्त पड़ी हुई है. इससे देश के कई हिस्सों में गर्मी बढ़ गई है.

जून से सितंबर तक चलने वाला मॉनसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल से शुरू होता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है. इसी समय लाखों किसान धान, दालें, मक्का, तिलहन, मसूर, सोया और गन्ना जैसी फसलें बोते हैं. बारिश न होने से इन फसलों की बुवाई पर खतरा मंडरा रहा है. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के किसान जयंत कोरम ने कहा कि हमने धान की नर्सरी तैयार कर ली है, अब बस उन्हें खेत में लगाने के लिए अच्छी बारिश का इंतजार है.

सामान्य से 24 फीसदी कम हुई बारिश

बारिश भारत की खेती के लिए बेहद जरूरी है, जो देश की जीडीपी का करीब 18 फीसदी हिस्सा बनाती है. इसके अलावा, बारिश पीने के पानी, बिजली उत्पादन और देश के 80 से ज्यादा बड़े जलाशयों को भरने में भी अहम भूमिका निभाती है. 1 जून से 16 जून तक देशभर में बारिश सामान्य से 24 फीसदी कम हुई है, ये आंकड़े भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जारी किए हैं. इसका मतलब है कि इस कमी को पूरा करने के लिए अब मॉनसून की रफ्तार तेज होनी जरूरी है.

मध्य प्रदेश में 29 फीसदी बारिश की कमी

मौसम विभाग ने पिछले महीने लगातार दूसरे साल बेहतर मॉनसून का अनुमान जताया था, लेकिन अब तक बारिश की धीमी शुरुआत ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. 1 जून से 16 जून के बीच कई बड़े राज्यों में बारिश काफी कम हुई है. मध्य प्रदेश में 29 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 46 फीसदी, गुजरात में 32 फीसदी और आंध्र प्रदेश में 25 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है. पश्चिम बंगाल में सामान्य से एक-तिहाई कम बारिश हुई है, जबकि ओडिशा में 31 फीसदी की कमी देखी गई है.

समय से पहले बुवाई करने में मदद

विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी प्री-मॉनसून बारिश और इस बार मॉनसून की जल्दी शुरुआत ने खासकर दक्षिण और मध्य भारत के किसानों को समय से पहले बुवाई करने में मदद की थी. लेकिन अब बारिश के रुकने से चिंता बढ़ गई है. पंजाब कृषि विभाग के वैज्ञानिक धनजीत पाल का कहना है कि खरीफ फसलों के लिए जुलाई और अगस्त की बारिश सबसे ज्यादा मायने रखती है. उन्होंने कहा कि बुवाई का समय अभी बाकी है और किसान जुलाई के पहले हफ्ते तक फसल बो सकते हैं.

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