पिछले कुछ सालों में पशुपालन को लेकर किसानों की सोच काफी बदली है. अब किसान सिर्फ दूध या मांस के लिए ही पशु नहीं पालते, बल्कि वे ऐसे जानवरों को चुनते हैं जो मुश्किल हालात में भी आसानी से टिक सकें और कम देखभाल में अच्छा फायदा दें. साथ ही, ये पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती के लिए भी बेहतर होते हैं.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में पारंपरिक नस्लों की गायें एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं. ये नस्लें भले ही उत्पादन के आंकड़ों में सबसे ऊपर न हों, लेकिन इनकी असली ताकत है. इनका कठिन हालात में भी जिंदा रहना और किसानों के लिए लगातार उपयोगी साबित होते रहना. गायों की ऐसी ही 7 नस्लें हैं जो कि पशुपालन के लिहाज से किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद हैं.
टेक्सस लॉन्गहॉर्न
अमेरिका की यह नस्ल अपने सींगों के लिए जानी जाती है. लेकिन इसकी असली खासियत ये है कि गाय की ये नस्ल कम संसाधनों में भी जिंदा रहने की क्षमता रखती है. ये गायें शुष्क और कठिन इलाकों में भी अच्छी तरह जीवित रह सकती हैं. हालांकि इनकी वृद्धि दर धीमी होती है, लेकिन ये लंबे समय तक उत्पादन देने में मदद करती हैं.
अंकॉले-वाटुसी
पूर्वी अफ्रीका की यह नस्ल अपने विशेश तरह की बड़ी सींगों के लिए लोकप्रिय है. बता दें कि ये सींग केवल देखने के लिए नहीं हैं, बल्कि शरीर का तापमान नियंत्रित करने में भी मदद करती हैं. इसकी खासियत है कि यह नस्ल कम पानी और सीमित चारे में भी आसानी से जीवित रह सकती है. अफ्रीकी समुदायों में इसका सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व भी है.
हाईलैंड कैटल
स्कॉटलैंड की यह लंबे बालों वाली नस्ल ठंडी जलवायु के लिए बिल्कुल अनुकूल है. इस नस्ल की गायों की मोटी खाल इन्हें बर्फ, हवा और बारिश से सुरक्षित रखती है. ये गायें उन इलाकों में भी चारा खा सकती हैं जहां दूसरी नस्लें टिक भी नहीं पाती हैं.
बेल्जियन ब्लू
इस नस्ल की गायों की सबसे बड़ी खासियत इनका मंसीला शरीर है, जो एक विशेष जीन म्युटेशन की वजह से होता है. यह मांस उत्पादन के व्यापार करने वालों के बीच इसे काफी पसंद किया जाता है. लेकिन इस नस्ल का पालन करना आसान नहीं है, खासकर जब गाय को बछड़ा देना हो तो अक्सर इंसानों की मदद की जरूरत पड़ती है. कुल मिला कर बात करे तो इस नस्ल की गाय को बहुत ही देखभाल की जरूरत होती है. अगर इसकी देखभाल सही से की जाए तो यह ज्यादा उत्पादन देने वाली नस्ल है.
जेबू
दक्षिण एशिया और अफ्रीका में बेहद लोकप्रिय गाय की यह नस्ल अपनी पीठ पर उभरे कूबड़ और ढीली त्वचा के लिए पहचानी जाती है. इस नस्ल की गाय की शारीरिक विशेषताएं गर्म जलवायु से निपटने में मदद करती हैं. इन गायों की खासियत है कि ये मजबूत होती हैं, बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं और साधारण चारे में भी जीवित रह सकती हैं.
अमेरिकन ब्राह्मण
गाय की इस नस्ल को अमेरिका में विकसित किया गया है, लेकिन इसकी जड़ें भारत और ब्राजील से जुड़ी हुई हैं. इसकी मोटी त्वचा, लंबे कान और कंधे का उभार इसे ज्यादा गर्मी सहन करने में मदद करती है. अमेरिकन ब्राह्मण नस्ल का इस्तेमाल अक्सर अन्य नस्लों में गर्मी सहने की क्षमता बढ़ाने के लिए क्रॉस-ब्रीडिंग में किया जाता है.
डेक्सटर
आयरलैंड से आने वाली इस गाय की छोटी नस्ल छोटे खेतों और घरेलू इस्तेमाल के लिए बेस्ट मानी जाती है. इनकी खासियत है कि ये गायें कम जगह घेरती हैं, कम चारा खाती हैं और दूध तथा मांस दोनों देती हैं. इनका स्वभाव शांत होता है और ये अलग-अलग जलवायु में भी वातावरण के अनुकूल खुद को ढाल लेती हैं. यही कारण है कि ये गायें नए किसानों के लिए एक बढ़िया ऑप्शन बन जाती हैं.
महत्वपूर्ण साबित हो रही ये नस्लें
पारंपरिक गायों की इन नस्लों की ओर लौटना केवल परंपरा से जुड़ा भावनात्मक फैसला नहीं है, बल्कि यह एक व्यावहारिक और रणनीतिक फैसला भी है जो आज की जलवायु और संसाधनों की सच्चाई को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है. जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है, ये मजबूत और सहनशील गायें यह साबित कर रही हैं कि इनका महत्व अब पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.