India-US Trade: समुद्री उत्पादों पर अमेरिकी नियमों का असर, अब भारत सरकार ने दिया ये जवाब

हाल ही में अमेरिका ने समुद्री उत्पादों पर कुछ नए नियम और मानक (Standards) लागू किए हैं. इनमें मुख्य रूप से स्वच्छता, स्थिरता और गुणवत्ता पर जोर दिया गया है. यानी समुद्री उत्पाद न केवल साफ-सुथरे और सुरक्षित हों, बल्कि समुद्री जीव-जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पकड़े जाएं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 20 Aug, 2025 | 08:38 AM

भारत का समुद्री उत्पाद निर्यात (Marine Products Export) दुनिया भर में काफी लोकप्रिय है. खासतौर पर झींगा (Shrimps), मछली, केकड़ा और अन्य समुद्री खाद्य पदार्थ अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में बड़े पैमाने पर जाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, भारत हर साल अरबों डॉलर के समुद्री उत्पाद विदेश भेजता है. इस उद्योग से लाखों मछुआरे और किसान अपनी आजीविका चलाते हैं.

हाल ही में अमेरिका ने समुद्री उत्पादों पर कुछ नए नियम और मानक (Standards) लागू किए हैं. इनमें मुख्य रूप से स्वच्छता (Hygiene), स्थिरता (Sustainability) और गुणवत्ता (Quality) पर जोर दिया गया है. यानी समुद्री उत्पाद न केवल साफ-सुथरे और सुरक्षित हों, बल्कि समुद्री जीव-जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पकड़े जाएं. विशेषज्ञों का मानना है कि इन शर्तों का असर भारत पर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका भारत का एक बड़ा निर्यात बाजार है.

सरकार का रुख

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये नियम केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि अन्य कई देशों के लिए भी लागू हैं. यानी भारत को सीधा नुकसान होने की संभावना कम है. मत्स्यपालन विभाग के अनुसार, निर्यात की स्थिति केवल अमेरिकी शर्तों पर निर्भर नहीं करती. इसमें कई कारक शामिल होते हैं, जैसे-

  • उत्पाद का प्रकार
  • अंतरराष्ट्रीय मांग
  • गुणवत्ता मानक
  • निर्यातक और आयातक के बीच समझौते

आंध्र प्रदेश, ओडिशा और केरल जैसे राज्य, जो समुद्री उत्पादों के बड़े उत्पादक हैं, इन नीतियों से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.

भारत की तैयारी

भारत सरकार ने पहले से ही कई योजनाओं के जरिए इस उद्योग को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है.प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और FIDF (फिशरीज़ एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड) के तहत फिशिंग हार्बर, कोल्ड स्टोरेज, और प्रोसेसिंग यूनिट्स को आधुनिक बनाया जा रहा है.

आधुनिक तकनीकें जैसे बायोफ्लोक और RAS (री-सर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम) किसानों और मछुआरों को ज्यादा उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता दिलाने में मदद कर रही हैं. समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) निर्यातकों को पंजीकरण, गुणवत्ता परीक्षण और अंतरराष्ट्रीय मेलों में भागीदारी की सुविधा देकर वैश्विक बाजार में भारतीय ब्रांड को मजबूत कर रहा है.

अमेरिकी बाजार पर विशेष फोकस

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा खरीदार है, इसलिए सरकार ने वहां की जरूरतों को ध्यान में रखकर कुछ खास कदम उठाए हैं-

  • मछली पकड़ने वाली ट्रॉलरों में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TEDs) लगाने की पहल, ताकि समुद्री कछुओं की सुरक्षा हो सके.
  • सी रेंचिंग और आर्टिफिशियल रीफ्स जैसी योजनाओं से मछलियों की संख्या बढ़ाई जा रही है.
  • मरीन मेमल स्टॉक असेसमेंट प्रोजेक्ट लागू किया गया है, ताकि समुद्री संसाधन लंबे समय तक टिकाऊ बने रहें.

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