भ्रष्टाचार से तंग आए महाराष्ट्र किसान, FPO के बजाय APMC से खरीद को मिली एकजुटता

महाराष्ट्र के प्याज किसानों ने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया है कि प्याज खरीद के नियमों में संशोधन कर APMC आधारित खरीद को प्राथमिकता दी जाए और मौजूद भ्रष्टाचार को रोका जाए.

नई दिल्ली | Updated On: 5 Jul, 2025 | 12:49 PM

महाराष्ट्र के प्याज किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्याज की खरीद किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के जरिए से नहीं बल्कि कृषि उपज मंडलियों (APMCs) के जरिए सीधे की जाए. किसानों का आरोप है कि वर्तमान FPO मॉडल में मौजूद भ्रष्टाचार के कारण असली किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.

किसान संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसियां जैसे NAFED और NCCF फिलहाल FPO के जरिए प्याज की खरीद करती हैं, जिससे दलालों को फायदा होता है. इससे असली किसान को मुनाफा नहीं होता है. उन्होंने कहा, “FPO आधारित मॉडल अपने मकसद में विफल रहा है. यह असली किसानों के साथ छेड़छाड़ और उन्हें बाहर करने का कारण बना है.”

किसानों का यह भी मानना है कि APMC के माध्यम से सीधे खरीद से खुले बाजार में कीमत का निर्धारण होगा, इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और पारदर्शिता आएगी, जिससे किसानों को बेहतर मुआवजा मिलेगा. उन्होंने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया है कि प्याज खरीद के नियमों में संशोधन कर APMC आधारित खरीद को प्राथमिकता दी जाए और मौजूद भ्रष्टाचार को रोका जाए. सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि FPO के बजाय APMC के माध्यम से सीधे खरीद की अनुमति दी जाए.

कौन हैं एफपीओ?

FPO यानी किसान उत्पादक संगठन वे समूह होते हैं, जिनमें किसान एक साथ आकर लीगल यूनिट बनाते हैं, जैसे सहकारी संस्था या कंपनी, ताकि वे सामूहिक रूप से अपनी खेती की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें. हालांकि, इस मॉडल की आलोचना करने वालों का का कहना है कि वर्तमान FPO मॉडल पारदर्शी नहीं है और स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार के लिए संवेदनशील हो गया है.

Published: 5 Jul, 2025 | 11:55 AM