खरीफ 2025: धान और मक्का की बुआई ने बनाया नया रिकॉर्ड, तेलहन और कपास में भारी गिरावट

धान और मक्का ने इस बार खरीफ सीजन में नया रिकॉर्ड बना दिया है. आंकड़ों के मुताबिक धान की बुआई 9.8 फीसदी बढ़कर 398.59 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. वहीं मक्का की बुआई में भी जोरदार उछाल देखने को मिला है और यह 11.8 फीसदी बढ़कर 92.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 20 Aug, 2025 | 07:31 AM

खरीफ फसल की बुआई इस साल लगभग पूरी होने के कगार पर है. देशभर में किसान अब तक करीब 1,039 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में बुआई कर चुके हैं, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 3.7 फीसदी अधिक है. हालांकि बारिश का पैटर्न इस बार काफी असमान रहा है, कहीं ज्यादा बारिश से फसलें डूब गईं तो कहीं कम बारिश से खेत सूखे रह गए.

धान और मक्का ने बनाया नया रिकॉर्ड

धान और मक्का ने इस बार खरीफ सीजन में नया रिकॉर्ड बना दिया है. आंकड़ों के मुताबिक धान की बुआई 9.8 फीसदी बढ़कर 398.59 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. वहीं मक्का की बुआई में भी जोरदार उछाल देखने को मिला है और यह 11.8 फीसदी बढ़कर 92.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है. दालों में उड़द और मूंग की बुआई पिछले साल की तुलना में अधिक हुई है, जिससे उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि अरहर की बुआई में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जो कुल पैदावार को प्रभावित कर सकती है.

कहां घटा क्षेत्र?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, तेलहन फसलों (Oilseeds) और कपास (Cotton) की बुआई में इस बार गिरावट दर्ज की गई है. सोयाबीन का रकबा 3.8 फीसदी घटा है, वहीं मूंगफली (Groundnut) की बुआई 4.5 फीसदी कम हुई है. कपास का क्षेत्र भी 2.9 फीसदी घटकर 107.87 लाख हेक्टेयर पर आ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी मुख्य वजह मौसम की मार है. कहीं अत्यधिक बारिश ने फसलें खराब कर दीं तो कहीं पानी की कमी ने बुआई को प्रभावित किया. इस कारण किसान इन फसलों की ओर कम रुझान दिखा रहे हैं.

बारिश की असमानता ने बढ़ाई चिंता

  • इस बार मानसून का वितरण संतुलित नहीं रहा.
  • उत्तर प्रदेश के देवरिया में 88 फीसदी तक कम बारिश हुई, जबकि एटा जिले में सामान्य से 86 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई.
  • तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में 225.5 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 359 फीसदी ज्यादा है, वहीं तूतीकोरिन में बारिश 65 फीसदी कम रही.
  • राजस्थान जैसे राज्यों में औसत से 39 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जिसकी वजह से मूंग, बाजरा, उड़द, सोयाबीन जैसी फसलें कई इलाकों में डूबकर खराब हो गई हैं.

किसानों की परेशानी और मांग

राजस्थान के किसान नेता रामपाल जाट का कहना है कि जिन किसानों की फसलें पूरी तरह खराब हो चुकी हैं, उनसे बैंक खातों से बीमा प्रीमियम काटना बंद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को सीधे नुकसान की भरपाई करनी चाहिए, क्योंकि किसानों के पास अब दोबारा बुआई का समय भी नहीं बचा है.

उर्वरक मांग से उम्मीदें

एक्सपर्ट्स का मानना है कि उर्वरकों (Urea, DAP, MOP, Complex) की बिक्री अप्रैल-जून 2025 तिमाही में 13 फीसदी बढ़कर 121.19 लाख टन तक पहुंची है. यह संकेत है कि किसान बुआई और उत्पादन को लेकर उत्साहित हैं और आने वाली फसल उम्मीद से बेहतर हो सकती है.

वहीं, अगले 40 दिन खरीफ फसलों के लिए बेहद अहम होंगे. खासकर धान, मक्का और दलहनों की पैदावार पर मौसम का सीधा असर पड़ेगा. अगर बारिश संतुलित रही तो इस साल खरीफ उत्पादन बेहतर हो सकता है, लेकिन कहीं भी लंबे समय तक जलभराव या सूखा किसानों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है.

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