खरीफ खेती में धान और दलहन की जबरदस्त बढ़त, लेकिन इन फसलों को हुआ नुकसान

देश के कुछ हिस्सों में बारिश कम होने से किसानों को चिंता सता रही है, तो वहीं कई इलाकों में मूसलधार बारिश ने खेतों को भिगोकर उम्मीदें भी जगाई हैं. इसके बावजूद 11 जुलाई तक कुल खरीफ फसलों की बोआई में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 15 Jul, 2025 | 09:46 AM

देश में मानसून की चाल जहां एक ओर कहीं धीमी तो कहीं बेकाबू नजर आ रही है, वहीं खरीफ सीजन की खेती पर इसका मिला-जुला असर पड़ा है. देश के कुछ हिस्सों में बारिश कम होने से किसानों को चिंता सता रही है, तो वहीं कई इलाकों में मूसलधार बारिश ने खेतों को भिगोकर उम्मीदें भी जगाई हैं. इसके बावजूद 11 जुलाई तक कुल खरीफ फसलों की बोआई में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. खासतौर पर धान और दालों की खेती ने इस सीजन को अब तक मजबूत बनाए रखा है.

धान बना किसानों की पहली पसंद

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, धान, जो खरीफ सीजन की सबसे अहम फसल मानी जाती है, इस बार सबसे ज्यादा बोई गई है. पिछले साल की तुलना में अब तक इसमें 10.6 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. अब तक 123.68 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हो चुकी है. यह इस बात का संकेत है कि किसान मौसम के उतार-चढ़ाव के बावजूद धान की फसल में भरोसा जता रहे हैं.

दालों की खेती में जबरदस्त उछाल

दूसरी सबसे बड़ी राहत आई है दालों की खेती से. कुल दालों की बुआई में 25.7 फीसदी की जोरदार बढ़ोतरी हुई है. खासकर मूंग की खेती में जबरदस्त उछाल देखा गया है, जहां पिछले साल के मुकाबले इसका रकबा 12.19 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 23.16 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. हालांकि अरहर (तुअर) की खेती में अभी भी गिरावट दर्ज की गई है. यह पिछले साल के 27.18 लाख हेक्टेयर से घटकर 25.42 लाख हेक्टेयर पर आ गई है.

मौसम की मार से सोयाबीन और कपास प्रभावित

तेलहन फसलों की बात करें तो कुल बोआई 2 प्रतिशत कम रही है. खासकर सोयाबीन की खेती में 8 फीसदी की गिरावट आई है. जहां पिछले साल 107.78 लाख हेक्टेयर में बोआई हुई थी, वहीं इस बार यह घटकर 99.03 लाख हेक्टेयर रह गई है. इसका मुख्य कारण महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में बारिश की कमी बताई जा रही है.

कपास की खेती में भी थोड़ा नुकसान देखने को मिला है. बोआई 2.5 फीसदी घटकर 92.83 लाख हेक्टेयर पर आ गई है. हालांकि मूंगफली की खेती ने उम्मीद जगाई है, जिसमें 18 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

मोटे अनाजों ने भी पकड़ी रफ्तार

पोषक-अनाज यानी मोटे अनाज की खेती में भी इस बार अच्छी बढ़त हुई है. कुल बोआई 16.6 प्रतिशत बढ़कर 116.3 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. मक्का की खेती में 3.6 प्रतिशत की बढ़त, ज्वार (sorghum) में हल्की वृद्धि और बाजरा (millet) में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है, जहां बोआई 29.59 से बढ़कर 44.01 लाख हेक्टेयर तक पहुंची है.

दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में बारिश की कमी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार जुलाई के पहले 14 दिनों में दक्षिण भारत में 22 फीसदी और पूर्वोत्तर भारत में 36 फीसदी तक कम बारिश हुई है. इसका असर कुछ फसलों की बुआई पर पड़ा है. वहीं दूसरी ओर मध्य भारत में स्थिति ठीक रही है, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में अब तक 49 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है.

मध्य प्रदेश में जुलाई के पहले 14 दिनों में 108 फीसदी अधिक बारिश हुई, जबकि गुजरात में यह आंकड़ा 34 फीसदी अधिक रहा. इससे इन इलाकों में खेतों की तैयारी और बुआई में तेजी आई है.

सितंबर पर टिकी निगाहें

एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “बारिश चाहे कम हो या ज्यादा, खरीफ सीजन में यही तय करता है कि किसान कब और कितनी फसल बोएंगे. हालांकि किसानों का आत्मविश्वास इस बार मजबूत नजर आ रहा है, लेकिन हमें सितंबर के महीने पर खास नजर रखनी होगी. अगर उस समय अत्यधिक बारिश होती है, तो दालों और तिलहन फसलों को नुकसान हो सकता है.”

गन्ने की स्थिति स्थिर, जूट-मेसता में गिरावट

गन्ने की बुआई अब तक 55.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो लगभग पिछले साल जैसी ही है. इसमें कोई खास बढ़ोतरी या गिरावट नहीं आई है. वहीं जूट और मेस्ता की खेती में 2.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और यह आंकड़ा 5.53 लाख हेक्टेयर पर ठहर गया है.

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