उत्तर प्रदेश में इस साल सरकार ने जितना गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, उसके मुकाबले बहुत कम खरीद हुई. वहीं, पशुओं के चारे की खरीद का प्रदर्शन बेहतर रहा. ये बदलाव ग्रामीण इलाकों की बदलती प्राथमिकताओं और बाजार की नई परिस्थितियों के कारण आया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस बार सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था. लेकिन पूरे प्रचार और 5853 खरीद केंद्रों के जरिए चलाए गए अभियान के बावजूद सरकार सिर्फ 10 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीद पाई. यानी कुल लक्ष्य का सिर्फ 17 फीसदी है.
सरकार ने गेहूं खरीद की प्रक्रिया 1 अप्रैल 2025 से शुरू की थी और यह अभियान रविवार यानी 15 जून को खत्म हो जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि किसान अब सरकार को गेहूं बेचने के बजाय निजी खरीदारों को बेचने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि बाजार में MSP से ज्यादा दाम मिल रहे हैं. साथ ही, निजी खरीदार समय पर भुगतान, फसल की खुद पिकअप और ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी दे रहे हैं. एक वरिष्ठ खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से यही ट्रेंड देखा जा रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी वैश्विक घटनाओं ने भी अनाज के व्यापार और कीमतों को प्रभावित किया है.
करीब 8 लाख मीट्रिक टन भूसा इकट्ठा किया
उत्तर प्रदेश में इस बार गेहूं की सरकारी खरीद बहुत कम रही है, जिससे अब केंद्र सरकार को अन्य राज्यों के FCI गोदामों से गेहूं भेजकर इस कमी को पूरा करना पड़ सकता है. ऐसा करने से ट्रांसपोर्टेशन खर्च काफी बढ़ जाएगा. इसके उलट, राज्य सरकार ने पशुओं के लिए भूसे की खरीद में अच्छा प्रदर्शन किया है. इस साल सरकार ने करीब 8 लाख मीट्रिक टन भूसा इकट्ठा किया, जो तय लक्ष्य का लगभग 90 फीसदी है. यह भूसा मुख्य रूप से आवारा पशुओं को खिलाने के लिए जुटाया गया है, जो प्रदेश की 7,000 से ज्यादा गौशालाओं में रखे गए हैं.
इनती फीसदी हुई गेहूं की खरीद
इन गौशालाओं में करीब 13 लाख पशु हैं, जिनमें ज्यादातर बेसहारा या अनुपयोगी मवेशी हैं. इनकी देखभाल में सबसे बड़ा खर्च चारे का होता है. पशुपालन विभाग ने 15 अप्रैल से 31 मई तक के अभियान में करीब 9 लाख मीट्रिक टन भूसा इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा था. इसमें से 26,62,198.16 क्विंटल भूसा दान के जरिए और बाकी 62,11,795.72 क्विंटल किसानों से 850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने का प्लान था. इस साल उत्तर प्रदेश में भूसे की खरीद 90.55 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि गेहूं की खरीद सिर्फ 17 फीसदी ही हो पाई.