कश्मीर की धान की खेती पर सूखे की मार, किसान बाल्टी से सींच रहे खेत

2012 में जहां कश्मीर में 1.62 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती थी, वहीं अब यह घटकर सिर्फ 1.29 लाख हेक्टेयर रह गई है. हजारों किसान अब धान छोड़कर सेब की बागवानी की तरफ बढ़ रहे हैं, क्योंकि धान की फसल अब घाटे का सौदा बन चुकी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 2 Jul, 2025 | 01:14 PM

कभी धान की खुशबू से महकने वाले कश्मीर के खेत आज सूखते जा रहे हैं. लगातार पड़ रही गर्मी और महीनों से न बरसने वाली बारिश ने घाटी की धरती को दरकने पर मजबूर कर दिया है. हालत ऐसी हो गई है कि जिन खेतों में हर साल धान की हरियाली लहराती थी, वहां बाल्टी से पानी भर भरकर खतों को सींच रहे हैं.

किसानों के सामने पानी का संकट

अनंतनाग, पुलवामा, बांदीपोरा जैसे जिलों में किसान अपने खेतों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कहीं बाल्टी से खेतों को सींचा जा रहा है तो कहीं सूखी नहरें और ठहर गए लिफ्ट पंप्स किसानों की बेबसी का नमूना बन गए हैं. झेलम नदी, जिसे कश्मीर की जीवन रेखा कहा जाता है, वह भी अब घुटनों तक सिमट गई है. श्रीनगर में तो तापमान 34.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो इस पहाड़ी इलाके के लिए असामान्य है.

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार दक्षिण कश्मीर के एक किसान मोहम्मद रमजान ने दुख जताते हुए बताया कि गर्मी ने खेती को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया है. खेतों की मिट्टी इतनी सूख चुकी है कि उसमें गहरी दरारें पड़ गई हैं, जैसे धरती चटक गई हो. उन्होंने कहा कि उनके गांव की सिंचाई नहर में अब सिर्फ कीचड़ रह गया है. घाटी भर में हालात ऐसे हैं कि अधिकतर पानी के स्रोत या तो सूख गए हैं या उनमें बूंद-बूंद पानी बचा है.

कहां-कहां कितनी बारिश की कमी

मौसम विभाग के आंकड़े भी खतरे की घंटी बजा रहे हैं. श्रीनगर में 65 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि कुलगाम में 62 फीसदी, बारामूला में 47 फीसदी, और गांदरबल में 54 फीसदी कम. इस मौसम ने न सिर्फ खेतों को बल्कि किसानों के भरोसे को भी झुलसा दिया है.

हालांकि, मौसम विभाग का कहना है कि 5 से 7 जुलाई के बीच कुछ राहत की बारिश हो सकती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या वह बारिश इतनी होगी कि धरती की प्यास बुझा सके?

अब धान से हटकर सेब की ओर रुख

लगातार घाटे और बदले मौसम ने किसानों की सोच भी बदल दी है. 2012 में जहां कश्मीर में 1.62 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती थी, वहीं अब यह घटकर सिर्फ 1.29 लाख हेक्टेयर रह गई है. हजारों किसान अब धान छोड़कर सेब की बागवानी की तरफ बढ़ रहे हैं, क्योंकि धान की फसल अब घाटे का सौदा बन चुकी है.

जरूरत है ठोस समाधान की

कश्मीर की खेती इस समय निर्णायक मोड़ पर है. सिंचाई नहरों की मरम्मत, सूखे से निपटने वाले आधुनिक पंप, और वैज्ञानिक ढंग से नदी व्यवस्था को दुरुस्त करना अब जरूरी हो गया है. अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया, तो घाटी की हरियाली बीते दिनों की बात बनकर रह जाएगी.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 2 Jul, 2025 | 11:37 AM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%