दूध चाहिए पूरा तो जानिए गर्भाधान का सही समय और सावधानियां

दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए दुधारू पशुओं का गर्भाधान सही समय और वैज्ञानिक विधियों से करना जरूरी है. तनावमुक्त माहौल में किया गया गर्भाधान सफलता दर को कई गुना बढ़ा देता है.

नोएडा | Updated On: 5 Jun, 2025 | 10:45 PM

दुधारू पशु पालन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि गाय या भैंस समय पर गर्भधारण करे और भरपूर दूध दे. लेकिन यह तभी संभव है जब गर्भाधान सही समय पर और सही तरीके से किया जाए. अगर पशु को जल्दी या गलत समय पर गर्भित किया जाए तो न सिर्फ बछड़ा पाने में दिक्कत होगी, बल्कि दूध की मात्रा पर भी सीधा असर पड़ेगा. ऐसे में पशुपालकों को चाहिए कि वे वैज्ञानिक तरीकों को अपनाएं और कुछ जरूरी सावधानियों का पालन करें.

हीट का सही समय पहचानें

पशु जब मद काल (हीट) में आता है तो उसका शरीर गर्भधारण के लिए तैयार होता है. इस मद काल का दूसरा अर्ध भाग, यानी जब हीट अपने चरम पर पहुंचती है तो वह समय कृत्रिम गर्भाधान के लिए सबसे उपयुक्त होता है. इस समय अंडोत्सर्ग की प्रक्रिया सक्रिय होती है और सीमन (वीर्य) के जरिए गर्भधारण की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वे पशु के व्यवहार, स्वभाव और शरीर में आए बदलावों से सही समय पहचानें.

ब्याने के बाद तुरंत न कराएं गर्भाधान

गाय या भैंस के ब्याने के बाद शरीर को सामान्य होने में समय लगता है. हिमाचल सरकार के एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट के मुताबिक प्रसव के कम से कम 50 से 60 दिन बाद ही गर्भाधान कराया जाए. इस समय तक गर्भाशय सामान्य स्थिति में लौट आता है और दोबारा गर्भधारण की प्रक्रिया ठीक से हो पाती है. साथ ही, प्रसव के 2-3 माह के अंदर पशु को गर्भ धारण कर लेना चाहिए ताकि 12 महीनों के बाद गाय तथा 14 महीनों के बाद भैंस दोबारा बच्चा देने में सक्षम हो सके क्योंकि यही सिद्धांत दुधारू पशु पालन में सफलता की कुंजी है.

पशुओं को तनावमुक्त रखें

गर्भाधान के लिए जब पशु को लाया या ले जाया जाता है तो कुछ पशुपालक उसे मार-पीट या डराकर नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, जो बिल्कुल गलत है. तनावपूर्ण माहौल से पशु के हार्मोनल संतुलन पर असर पड़ता है, जिससे गर्भधारण में बाधा आती है. पशु को हमेशा स्नेह और आराम से संभालें ताकि वह शांत रहे और प्रक्रिया सफल हो सके.

वैज्ञानिक विधियों से बढ़ेगी सफलता

आजकल रेक्टो-प्रजनन विधि गर्भाधान के लिए एक आधुनिक और भरोसेमंद तरीका बन चुका है. इसमें प्रशिक्षित व्यक्ति पशु के गर्भाशय में सही स्थान पर सीमन डालता है, जिससे गर्भधारण की सफलता दर काफी अधिक हो जाती है. इससे न सिर्फ गर्भाधान की कोशिशें कम होती हैं, बल्कि पशु की सेहत भी बनी रहती है. किसान ज्यादा उत्पादक और स्वस्थ पशु पाल सकते हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में मदद करता है.

Published: 6 Jun, 2025 | 08:00 AM