दालों की खेती बढ़ाने के लिए धान का एरिया घटाने की तैयारी, कृषि मंत्री ने बताया फॉर्मूला

केंद्रीय कृषि मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की ओर से विकसित जीनोम एडिटेड धान की 2 किस्मों को लॉन्च किया. उन्होंने दलहन-तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए फॉर्मूला दिया है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 4 May, 2025 | 01:38 PM

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गेहूं और चावल उत्पादन में हम पहले से ही आगे हैं और यह खाद्यान्न भरपूर है. लेकिन, हम दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ाएंगे. इसके लिए उन्होंने गेहूं और चावल का एरिया घटाने का फॉर्मूला बताया. उन्होंने कहा कि देश का किसान आगे बढ़ेगा और समृद्ध होगा तभी देश विकसित होगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि 29 मई से वैज्ञानिक खेतों में निकलेंग और जिले के अधिकारियों के मिलकर किसानों को खेती की उन्नत विधियों और तकनीक के बारे में शिक्षित करेंगे.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में पहली बार जीनोम एडिटेड धान की तैयार 2 नई किस्मों को लॉन्च किया है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि धान और गेहूं में हम भरपूर हैं, खूब पैदावार हो रही है और इसमें भी हम आगे बढ़ेंगे. लेकिन, अभी दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ाना जरूरी है. हमें दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भर होना है.

सोयाबीन, तूर, उड़द का उत्पादन बढ़ाना टारगेट

सोयाबीन, तूर उड़द समेत तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाना है. प्रति हेक्टेयर प्रोडक्शन कम है. इसे आगे ले जाना है. प्रधानमंत्री की भी चिंता है. उन्होंने कहा कि धान गेहूं में हम भरपूर हैं, लेकिन इसमें भी आगे बढ़ेंगे.

क्या है माइनस 5, प्लस 10 का फार्मूला

उन्होंने कहा कि एक फॉर्मूला है कि माइनस 5 और प्लस 10 का. यानी माइनस 5 मिलियन का मतलब है कि 50 लाख हेक्टेयर चावल का एरिया कम करना है और एरिया कम करते हुए भी 10 मिलियन टन यानी 1 करोड़ मीट्रिक टन उत्पादन बढ़ाना है. ये टारगेट है, इसे हासिल करना है. उन्होंने कहा कि एरिया इसलिए घटाना है कि जो एरिया बचेगा उसमें दलहन और तिलहन का उत्पादन करना है. दालों और तेलों के आयात से बचना है. दलहन-तिलहन मिशन को कामयाब बनाना है.

युवा किसान खेती में आगे आएं

कृषि मंत्री ने कहा कि खेती देश की अर्थव्यवस्था का आधार बनी रहेगी. युवा किसान खेती में आगे आएं. निराश होने की जरूरत नहीं है. उन्नत खेती के लिए वे सामने आएं. भारत कृषि प्रधान देश है और इसमें युवाओं की भागीदारी रही है. अब भी युवाओं को खेती के क्षेत्र में आगे बढ़कर योगदान देना होगा. जो बाधाएं हैं उन्हें वैज्ञानिक दूर कर रहे हैं.

देश के 16 हजार वैज्ञानिक दुनिया का पेट भर रहे

उन्होंने कहा कि अब अनुसंधान सीधे किसानों तक और खेतों तक पहुंचाना है. देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े संस्थानों में 16 हजार कृषि वैज्ञानिक हैं. इन वैज्ञानिकों के दम पर हम पूरी दुनिया का पेट भर रहे हैं. लैब टू लैड प्लान के तहत हम शोध को किसान तक ले जा रहे हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि इसके लिए डीडी किसान पर आधुनिक चौपाल का. इसमें किसान पूछता है वैज्ञानिक जवाब देते हैं.

जिलावार खेतों में जाएंगे वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों को साल में 2 बार लैब से निकलकर खेतों में पहुंचना है. वैज्ञानिक और किसान एक हो जाएंगे तो चमत्कार होगा. इसको लेकर योजना बना रहे हैं. हमारे कृषि विज्ञान केंद्र 1 जिले में एक है. वैज्ञानिकों की एक टीम जिले में जाएगी और वहां की मिट्टी, मौसम का ध्यान रखते हुए किसानों को एजुकेट करेगी. इससे लैब और लैंड एक हो जाएंगे और इससे चमत्कार हो जाएगा. वैज्ञानिक खेत में निकलें. कृषि विभाग का पूरा अमला लगे. राज्यों से भी बात की जाएगी.

29 मई से खेती की नई तकनीक सिखाएंगे वैज्ञानिक

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक 29 मई से किसानों तक पहुंचेंगे और उन्हें कृषि क्षेत्र में नवाचारों के बारे में शिक्षित करेंगे ताकि कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके. उन्होंने कहा कि दोनों के बीच कोई समन्वय नहीं है. अब यह निर्णय लिया गया है कि 29 मई से चार सदस्यों वाली वैज्ञानिकों की टीमें कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों तक पहुंचेंगी. स्थानीय विधायकों और सांसदों से कुछ समय देने का अनुरोध किया जाएगा और कलेक्टर इस अभ्यास का समन्वय करेंगे.

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Published: 4 May, 2025 | 01:06 PM

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