अब प्याज किसानों की आंखों से नहीं निकालेंगे आंसू.. महाराष्ट्र सरकार ने समिति का किया गठन

राज्य के मार्केटिंग विभाग ने एक सरकारी आदेश जारी कर कहा कि इतने बड़े उत्पादन के बावजूद किसानों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसमें कीमतों में उतार-चढ़ाव, स्टोरेज की कमी, बार-बार निर्यात पर रोक और फसल कटाई के बाद नुकसान जैसी समस्याएं शामिल हैं.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 15 Jun, 2025 | 10:09 AM

महाराष्ट्र में प्याज से जुड़ी लगातार समस्याओं का स्थाई समाधान निकालने के लिए राज्य सरकार ने एक समिति का गठन किया है. इस समिति की अध्यक्षता राज्य कृषि मूल्य आयोग के चेयरमैन पाशा पटेल को सौंपी गई है. यह फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लिया है. पूर्व विधायक पाशा पटेल का कहना है कि हर साल प्याज किसानों, उपभोक्ताओं और सरकार तीनों की आंखों में आंसू लाता है. ऐसे में उत्पादन, उत्पादकता, भंडारण और निर्यात को लेकर एक ठोस और व्यापक नीति बनने की जरूरत है.

पाशा पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक और निर्यातक राज्य है. इसलिए मुख्यमंत्री ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ सदस्यों के साथ मिलकर यह समिति तय समय सीमा में रिपोर्ट तैयार करेगी, ताकि प्याज से जुड़ी समस्याओं का स्थायी हल निकाला जा सके. उन्होंने कहा कि हर साल प्याज महाराष्ट्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनता है. अधिकारियों के मुताबिक, बीते साल कुल उत्पादन में महाराष्ट्र का हिस्सा करीब 34 फीसदी रहा. इसके साथ ही भारत के कुल प्याज निर्यात का 40 फीसदी भी महाराष्ट्र से होता है.

किसान और व्यापारी दोनों परेशान

हाल ही में राज्य के मार्केटिंग विभाग ने एक सरकारी आदेश जारी कर कहा कि इतने बड़े उत्पादन के बावजूद किसानों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसमें कीमतों में उतार-चढ़ाव, स्टोरेज की कमी, बार-बार निर्यात पर रोक और फसल कटाई के बाद नुकसान जैसी समस्याएं शामिल हैं. आदेश में यह भी कहा गया कि प्याज के आयात-निर्यात की नीतियों में बार-बार बदलाव से व्यापार बाधित होता है, जिससे किसान और व्यापारी दोनों परेशान होते हैं.

किसानों को होगा ये फायदा

इन्हीं सभी समस्याओं का हल निकालने और कीमतों में स्थिरता, भंडारण व्यवस्था में सुधार, निर्यात को बढ़ावा, बाजार में बदलाव और किसानों के हित में एक ठोस नीति बनाने के लिए सरकार ने पाशा पटेल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. प्याज से जुड़ी समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए बनी समिति की अध्यक्षता पाशा पटेल कर रहे हैं. इस समिति में कई अनुभवी सदस्य शामिल हैं.

वहीं, सरकार द्वारा जारी आदेश में समिति का उद्देश्य कार्यक्षेत्र और काम करने का तरीका स्पष्ट रूप से बताया गया है. समिति को एक महीने के अंदर अंतरिम रिपोर्ट देनी होगी. हर दो महीने में प्रगति रिपोर्ट देनी होगी. छह महीने की अवधि में समिति अंतिम रिपोर्ट और नीति का ड्राफ्ट एक्शन प्लान के साथ सरकार को सौंपेगी.

समिति में ये सदस्य हैं शामिल

  • निदेशक, मार्केटिंग (महाराष्ट्र राज्य, पुणे)
  • कार्यकारी निदेशक, महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (पुणे)
  • कृषि निदेशक (कृषि आयुक्तालय, पुणे)
  • सह सचिव/उप सचिव (कृषि विभाग और मार्केटिंग विभाग)
  • डॉ. सुनील पवार (पूर्व मार्केटिंग निदेशक)
  • प्रमुख सांख्यिकी अधिकारी (कृषि आयुक्तालय, पुणे)
  • अध्यक्ष, एपीएमसी सोलापुर
  • प्रमुख, कृषि अर्थशास्त्र विभाग, महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी
  • प्रशांत वाघमारे (एपीडा, मुंबई)
  • भावेश कुमार जोशी (कृषि विपणन सलाहकार, भारत सरकार)
  • जमनालाल बजाज प्रबंधन संस्थान, मुंबई के निदेशक
  • दीपक चव्हाण (कृषि बाजार विशेषज्ञ, पुणे)
  • एक किसान उत्पादक संगठन का प्रतिनिधि
  • और मार्केटिंग मंत्री द्वारा चुने गए तीन विशेषज्ञ
  • सदस्य सचिव के रूप में मार्केटिंग निदेशालय, पुणे के उप निदेशक को नियुक्त किया गया है.

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