3 हजार रुपये क्विंटल हुआ आम, किसानों को भारी नुकसान.. CM ने केंद्र को लिखा पत्र

कर्नाटक में आम की कीमतों में भारी गिरावट से किसान संकट में हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र से और केंद्रीय एजेंसियों के जरिए तत्काल खरीद की मांग की है, ताकि छोटे किसानों को लागत से कम दाम मिलने से हो रहे नुकसान से बचाया जा सके.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 15 Jun, 2025 | 05:23 PM

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आम की गिरती कीमतों से परेशान राज्य के किसानों को राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार से तुरंत कदम उठाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि इस सीजन में आम की कीमतें 12,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर सिर्फ 3,000 रह गई हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है.

सीएम ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक चिट्ठी लिखकर किसानों के लिए Price Deficiency Payment और Market Intervention Scheme शुरू करने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने NAFED और NCCF जैसी केंद्रीय एजेंसियों के जरिए तुरंत खरीद शुरू करने की सिफारिश की, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में और नुकसान को रोका जा सके.

लागत के बराबर दाम मिले

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार से अपील की है कि आम किसानों को उनकी लागत के बराबर दाम दिलाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को फौरन उचित मूल्य पर खरीद शुरू करने का निर्देश दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस तरह की मदद से किसानों को और नुकसान से बचाया जा सकेगा और उनकी आमदनी को इस मुश्किल वक्त में सुरक्षित किया जा सकेगा.

1.39 लाख हेक्टेयर में आम की खेती

उन्होंने कहा कि आम कर्नाटक की प्रमुख बागवानी फसलों में से एक है, जो लगभग 1.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है. इसका उत्पादन खासकर बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु अर्बन, चिक्कबल्लापुर, कोलार और बेंगलुरु साउथ (रामनगर) जिलों में होता है, जहां रबी सीजन में लगभग 8 से 10 लाख टन आम पैदा होते हैं.

अब घटकर 3,000 रुपये क्विंटल हुई कीमत

मुख्यमंत्री ने चिट्ठी में लिखा कि मई से जुलाई के बीच आम की तुड़ाई के पीक सीजन में बाजार में भारी मात्रा में आम आ रहे हैं, जिससे दामों में भारी गिरावट हो रही है. पहले जो कीमत 12,000 रुपये प्रति क्विंटल थी, वह अब घटकर 3,000 रुपये तक पहुंच गई है. जबकि कर्नाटक कृषि मूल्य आयोग के अनुसार, प्रति क्विंटल उत्पादन लागत 5,466 रुपये है. उन्होंने कहा कि लागत और बाजार मूल्य में इतना बड़ा अंतर किसानों को जबरदस्त आर्थिक दबाव में डाल रहा है, इसलिए जरूरी है कि केंद्र सरकार जल्दी हस्तक्षेप करे.

किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं

सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि राज्य के हजारों छोटे आम किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं और वे अपनी खेती की बेसिक लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री को भेजी चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि हजारों छोटे और सीमांत किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं, जिससे जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और कृषि क्षेत्र में तनाव तेजी से बढ़ रहा है. अगर समय पर और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट गंभीर आर्थिक परिणाम ला सकता है. सीएम ने केंद्र से मांग की है कि किसानों को राहत देने के लिए फौरन हस्तक्षेप किया जाए, ताकि स्थिति और न बिगड़े.

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Published: 15 Jun, 2025 | 05:16 PM

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