नीले छिलके और वनीला स्वाद वाला केला, किसानों के लिए बन रहा कमाई का नया जरिया

ब्लू जावा केले की पहचान अब सिर्फ विदेशों तक सीमित नहीं रही. भारत में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर होटल, रेस्टोरेंट और जूस सेंटर्स में. सामान्य केले की तुलना में यह महंगा बिकता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 8 Sep, 2025 | 01:07 PM

फलों की दुनिया में केला ऐसा नाम है जिसे हर कोई जानता है. आमतौर पर हमने पीले और हरे केले ही देखे हैं, लेकिन क्या आपने कभी नीले रंग का केला देखा है? जी हां, ब्लू जावा केला जिसे लोग प्यार से आइसक्रीम केला भी कहते हैं, अपने अनोखे स्वाद और रंग की वजह से दुनिया भर में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.

ब्लू जावा केला क्या है?

ब्लू जावा केला मूल रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया (खासतौर पर इंडोनेशिया और फिलीपींस) का फल है. इसकी खास पहचान है इसका नीला-चांदी जैसा छिलका और अंदर से मलाईदार, वनीला जैसा स्वाद. यही वजह है कि इसे आइसक्रीम केला कहा जाता है.

इसकी खासियतें

रंग और बनावट: कच्चे फल का छिलका नीला-चांदी जैसा होता है, और पकने पर हल्का नीला-सफेद हो जाता है.

गूदा (फ्लेश): अंदर से इसका गूदा हल्का क्रीम जैसा और बहुत मुलायम होता है.

स्वाद: इसमें हल्की-सी वनीला जैसी मिठास होती है, जिसे खाकर आइसक्रीम खाने का अहसास होता है.

सेहत के लिए फायदे

ब्लू जावा केला सिर्फ देखने और खाने में ही खास नहीं है, बल्कि यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है.

  • इसमें पोटैशियम, विटामिन C, विटामिन B6 और फाइबर मौजूद होता है.
  • फाइबर की अच्छी मात्रा होने से यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है.
  • इसमें मौजूद नैचुरल शुगर तुरंत ऊर्जा देती है, इसलिए वर्कआउट से पहले या बाद में खाना फायदेमंद है.
  • यह शरीर को बीमारियों से बचाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है.

इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन मस्तिष्क में सेरोटोनिन बनाने में मदद करता है, जिससे तनाव कम होता है और मूड बेहतर होता है.

ब्लू जावा केले की खेती

कब और कैसे होती है रोपाई

ब्लू जावा केले की रोपाई मुख्य रूप से जून महीने में की जाती है. इस समय मौसम अनुकूल रहता है और पौधे तेजी से बढ़ते हैं. किसान एक एकड़ खेत में लगभग 1250 पौधों की रोपाई कर सकते हैं. पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखना जरूरी है ताकि उन्हें बढ़ने और फलने-फूलने में आसानी हो.

खेत की तैयारी और खाद का उपयोग

खेती शुरू करने से पहले खेत की सही तरीके से तैयारी करना बेहद जरूरी है. रोपाई से पहले खेत में 4 से 5 ट्रॉली गोबर की खाद डालनी चाहिए. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधे मजबूत बनते हैं. रोपाई के समय डीएपी और एसएसपी खाद मिलाने से भी उत्पादन बेहतर मिलता है.

फसल की अवधि और देखभाल

ब्लू जावा केले की फसल सामान्य केले से थोड़ी अलग है. यह फसल 10 से 11 महीने में तैयार हो जाती है. शुरुआती महीनों में पौधों की अच्छी देखभाल करनी पड़ती है, जिसमें समय-समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण शामिल है. सही देखभाल से पैदावार और भी बेहतर मिलती है.

पकाने की खास प्रक्रिया

ब्लू जावा केला सामान्य केले की तरह पौधे पर नहीं पकता. इसे एसी चेंबर में नाइट्रोजन गैस की मदद से पकाया जाता है. पकने के बाद इसका छिलका नीले से पीला हो जाता है, लेकिन इसका स्वाद वनीला जैसा ही बना रहता है. यही वजह है कि इसे आइसक्रीम केला कहा जाता है और इसकी बाजार में खास पहचान है.

बाजार में बढ़ती मांग

ब्लू जावा केले की पहचान अब सिर्फ विदेशों तक सीमित नहीं रही. भारत में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर होटल, रेस्टोरेंट और जूस सेंटर्स में. सामान्य केले की तुलना में यह महंगा बिकता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है.

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