एग्री ड्रोन ट्रेनिंग पाकर 40 हजार रुपये कमा रहीं रीना और निदा, ड्रोन ने बदली जिंदगी

नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं ड्रोन तकनीक से खेती में छिड़काव कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. यह योजना उन्हें प्रशिक्षण, संसाधन और आमदनी के नए अवसर देकर आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 4 Aug, 2025 | 11:45 AM

मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं अब खेतों में सिर्फ मेहनत नहीं, तकनीक का संचालन भी कर रही हैं. नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिए ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रशिक्षित और प्रेरित कर रही हैं. रीना चंदेल और निदा अख्तर जैसे उदाहरण साबित करते हैं कि सही प्रशिक्षण और सरकारी सहयोग से कोई भी महिला अपनी आर्थिक स्थिति बदल सकती है. कृषि में ड्रोन तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है और महिलाओं को मुख्यधारा में लाकर खड़ा कर दिया है.

रीना चंदेल: एक सीजन में कमा रहीं 40,000 रुपये से ज्यादा

मध्य प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार राज्य के आगर-मालवा जिले की ग्राम थड़ौदा निवासी रीना चंदेल ने जब से ड्रोन प्रशिक्षण लिया है, तब से उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है. वे अब नैनो यूरिया और नैनो कीटनाशकों का ड्रोन से छिड़काव करती हैं और प्रति हेक्टेयर भुगतान प्राप्त करती हैं. एक ही कृषि सीजन में वे 40,000 रुपये से अधिक कमा रही हैं और पूरे साल में यह आमदनी 1 लाख रुपये तक पहुंच जाती है.

रीना का कहना है कि यह तकनीक न केवल सटीक और संतुलित छिड़काव सुनिश्चित करती है, बल्कि मजदूरों की तुलना में कम समय और लागत में काम पूरा करती है. सिर्फ 5 से 10 मिनट में एक हेक्टेयर में छिड़काव संभव है. उन्हें यह प्रशिक्षण इंदौर और भोपाल में मुफ्त में मिला, साथ ही सरकारी योजना के तहत एक ड्रोन भी निशुल्क उपलब्ध कराया गया.

निदा अख्तर: तीन लाख से अधिक की सालाना कमाई

ग्वालियर जिले की मोहना नगर परिषद की निदा अख्तर ने ड्रोन तकनीक को अपनाकर न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि 325 किसानों के खेतों में 2250 एकड़ से अधिक क्षेत्र में छिड़काव करके लगभग 3.5 लाख रुपये की शुद्ध आय भी अर्जित की. निदा बताती हैं कि नमो ड्रोन दीदी योजना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुई.

उन्हें इफको के जरीए ग्वालियर के एमआईटीएस कॉलेज में ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण दिया गया और नागर विमानन मंत्रालय से ड्रोन पायलट का लाइसेंस भी मिला. इसके बाद उन्हें ड्रोन, इलेक्ट्रिक गाड़ी और जनरेटर जैसे संसाधन भी मुफ्त में उपलब्ध कराए गए. अब निदा आत्मनिर्भर हैं और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.

तकनीक से जुड़ी महिलाएं बन रही हैं किसानों की सलाहकार

रीना और निदा जैसी ड्रोन दीदियां सिर्फ छिड़काव नहीं करतीं, बल्कि किसानों को जागरूक भी करती हैं कि नैनो तकनीक कैसे लाभदायक है. ड्रोन के माध्यम से छिड़काव एकसमान होता है और यह पारंपरिक छिड़काव की तुलना में अधिक प्रभावी साबित होता है. महिलाओं को अब कृषि सलाहकार की तरह देखा जा रहा है, जो गांवों में तकनीकी बदलाव की अगुवाई कर रही है.

सरकार का सहयोग और मिशन का उद्देश्य

नमो ड्रोन दीदी योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी पहल है. इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन तकनीक से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह योजना महिलाओं को तकनीक, प्रशिक्षण और संसाधनों की त्रिसूत्रीय सहायता प्रदान करती है.

संयुक्त राज्य अमेरिका के काउंसिल जनरल माइक हैंकी ने भी निदा अख्तर से मिलकर उनके काम की सराहना की, जो इस योजना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता का संकेत है.

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